गुवाहाटी. असम के शिवसागर में भूमि आवंटन प्रमाणपत्र वितरण समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए नॉर्थईस्ट का तेज विकास, असम का तेज विकास बहुत ही आवश्यक है। आत्मनिर्भर असम का रास्ता असम के लोगों के आत्मविश्वास से होकर गुज़रता है और आत्मविश्वासत भी बढ़ता है। जब घर-परिवार में भी सुविधाएं मिलती हैं और राज्य के अंदर इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधरता है। बीते सालों में इन दोनों मोर्चों पर असम में अभूतपूर्व काम किया गया है। असम में लगभग पौने 2 करोड़ गरीबों के जनधन बैंक खाते खोले गए हैं। इन्हीं खातों के कारण कोरोना के समय में भी असम की हज़ारों बहनों और लाखों किसानों के बैंक खाते में सीधी मदद भेजना संभव हो पाया है। आज असम की लगभग 40 प्रतिशत आबादी आयुष्मान भारत की लाभार्थी है, जिसमें से लगभग डेढ़ लाख साथियों को मुफ्त इलाज मिल भी चुका है। बीते 6 साल में असम में टॉयलेट्स की कवरेज 38 प्रतिशत से बढ़कर शत-प्रतिशत हो चुकी है। 5 साल पहले तक असम के 50 प्रतिशत से भी कम घरों तक बिजली पहुंची थी, जो अब लगभग 100 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। जल जीवन मिशन के तहत बीते डेढ़ साल में असम में ढाई लाख से ज्यादा घरों में पानी का कनेक्शन दिया है। केंद्र और राज्य सरकार का डबल इंजन, 3-4 वर्षों में असम के हर घर तक पाइप से जल पहुंचाने के लिए काम कर रहा है।
मोदी ने कहा कि ये जितनी भी सुविधाएं हैं, इनका लाभ सबसे ज्यादा हमारी बहनों- बेटियों को ही होता है। असम की बहनों-बेटियों को बहुत बड़ा लाभ उज्जवला योजना से भी हुआ है। आज असम की करीब 35 लाख गरीब बहनों की रसोई में उज्जवला का गैस कनेक्शन है। इसमें भी लगभग 4 लाख परिवार SC/ST वर्ग के हैं। 2014 में जब हमारी सरकार केंद्र में बनी तब असम में एलपीजी कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत ही थी। अब उज्जवला की वजह से असम में एलपीजी कवरेज बढ़कर करीब-करीब 99 प्रतिशत हो गई है। असम के दूर-दराज वाले इलाकों में गैस पहुंचने में दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार ने डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या को भी काफी बढ़ाया है। 2014 में असम में तीन सौ तीस एलपीजी गैस डिस्ट्रीब्यूटर थे, अब आज इनकी संख्या पाँच सौ पिछत्तर से भी ज्यादा हो गई है। हमने देखा है कि कैसे उज्जवला ने कोरोना के समय में भी लोगों की मदद की है। इस दौरान असम में 50 लाख से ज्यादा मुफ्त गैस सिलेंडर उज्जवला के लाभार्थियों को दिए गए हैं। यानि उज्जवला योजना से असम की बहनों का जीवन भी आसान हुआ है और इसके लिए जो सैकड़ों नए डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर बने हैं, उससे अनेक युवाओं को रोज़गार भी मिल रहा है।
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