Home / National / नवाचार और शोध पत्रों के प्रकाशन के मामले में दुनिया में बढ़ रही भारत की साख

नवाचार और शोध पत्रों के प्रकाशन के मामले में दुनिया में बढ़ रही भारत की साख

नई दिल्ली। देश पहले से ही वैज्ञानिक शोध-पत्रों के प्रकाशन के मामले में पहला स्‍थान प्राप्‍त कर चुका है। यह अब वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में भी शीर्ष 50 नवाचार आधारित अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक बन गया है और इस तरह से कई विकसित और विकासशील देशों से आगे निकल चुका है।

वैज्ञानिक उत्‍कृष्‍टता और नवाचार का संयोजन वैज्ञानिक गतिविधियों, अवसंरचना तथा मानव ससांधन कार्यबल के विकास में निवेश बढ़ाने के साथ ही स्‍टार्ट अप इंडिया मुहिम के माध्‍यम से पूरी नवाचार श्रृंखला को प्रोत्‍साहित करने से संभव हो सका है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने इन उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए ‘कहा ज्ञान सृजित करने वाले उत्‍कृष्‍ट वातावरण और ऐसे ज्ञान की खपत वाले नवाचार युक्‍त वातावरण को एक साथ लाने के हमारे प्रयासों से ही यह बदलाव सभंव हो सका है। पांचवी राष्‍ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी तथा नवाचार नीति हमारे इन प्रयासों को और आगे ले जाने में मददगार बनेगी’’ ।

देश में 2017-18 के दौरान कुल 1,13,825.03 करोड़ रूपए का निवेश किया गया जो 2018-19 में बढ़कर 1,23,847.71 करोड़ रूपए पर पहुंच गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से शुरु की गई ‘निधी’ जैसी पहल ने इसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। निधी येाजना के कार्यान्‍वय से देशभर में 3681 स्‍टार्टअप्‍स को उनके शुरुआती चरण में विज्ञान और प्रौदयोगिकी विभाग की ओर से स्‍थापित 150 इनक्‍यूबेटरों के नेटवर्क के माध्‍यम से मदद दी गई। इनके जरिए 1992 बौद्धिक प संपदाओं का सृजन किया गया। इसके अलावा पिछले पांच वर्षों के दौरान इनके माध्‍यम से 65,864 प्रत्‍यक्ष रोजगार के अवसर सृजित किए गए और 27,262 करोड़ रूपए की आर्थिक संपदा बनाई गई।

नए विचारों को प्रयोग में लाई जा सकने वाली प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करने और फिर पूरे देश में बड़े पैमाने पर उनके इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने का चलन शुरु हो चुका है। वर्ष 2017- 18 में जिन 13,045 पेटेंट को मंजूरी दी गई उनमें से 1937 पेटेंट भारतीय नागरिकों के थे। भारत के पेटेंट कार्यालय में 2017-18 के दौरान कुल 15550 पेटेंटों के लिए आवेदन किया गया जिनमें से 65 प्रतिशत महाराष्‍ट्र,कर्नाटक,तमिलनाडु और दिल्‍ली से थे।

भारत सरकार के स्‍टार्ट-अप मिशन ने इन पेटेंटों के जरिए लाए गए नवाचार को स्‍टार्ट-अप के रूप में मूर्त रूप देने का काम किया है। आज भारत सबसे ज्‍यादा स्‍टार्टअप्‍स वाले देशों में से एक बन चुका है।

एक ओर जहां स्‍टार्टअप इंडिया अभियान और पेटेंट को प्रोत्‍साहित करने के प्रयासों से विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में आमूल बदलाव आया है वहीं दूसरी ओर देश ने वैज्ञानिक उत्‍कृष्‍टता के प्रतीक के रूप में शोध पत्रों के प्रकाशन के मामले में भी अपनी बढ़त कायम रखी है।

पिछले दस वर्षों के दौरान देश में शोध-पत्रों के प्रकाशन में काफी वृद्धि देखी गई है। अमरीका के नेशनल साइंस फांउडेशन से मिले डेटा के अनुसार इस मामले में अमरीका और चीन के बाद तीसरा स्‍थान भारत का है। वर्ष 2018 में देश में ऐसे कुल 135,788 वैज्ञानिक शोध-पत्र प्रकाशित किए गए। इससे यह पता चला है कि देश में वैज्ञानिक शोधपत्रों के प्रकाशन में 12.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि इसका वैश्विक औसत 4.9 प्रतिशत रहा। वर्ष 2008-2018 के दौरान शोध पत्रों के प्रकाशन के मामलें में भारत की औसत वार्षिक वृद्धि दर 10.73 प्रतिशत रही जबकि इस अवधि में चीन की दर 7.81 प्रतिशत और अमरीका की 0.71 प्रतिशत रही।

यह अनुसंधान और विकास गतिविधियों , उसके लिए आवश्‍यक बुनियादी ढ़ाचें और मानव संसाधन कार्यबल के विकास पर निवेश बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा शेाधकर्ताओं को सरकार की ओर से दिए गए प्रोत्‍साहन का परिणाम रहा। वर्ष 2017-18 के दौरान देश में प्रति व्‍यक्ति अनुसंधान और विकास पर खर्च बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया था जबकि 2007-08 में यह 29.2 डॉलर रहा था। कार्यबल भी 2018 में 3.42 लाख हो गया जबकि 2015 में यह 2.83 लाख था। देश के पास इस समय एक मजबूत शोध कार्यबल है।वर्ष 2017 में यह प्रति दस लाख लाख आबादी पर बढ़कर 255 हो गया जबकि 2015 में यह 218 पर था। इतनी बड़ी तादाद में वैज्ञानिक गतिवधियों का केन्‍द्र देश के 993 विश्वविद्यालय/ डीम्ड विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय महत्व के 127 संस्थान और देश भर में मौजूद 39,931 कॉलेज रहे। ये संस्‍थान वैज्ञानिक शोधों के लिए ऐसे आवश्‍यक मानव संसाधनों का पोषण करते हैं जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के भविष्‍य की उम्‍मीद हैं और जो देश की वैज्ञानिक और तकनीकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे। देश आज की तारीख में ऐसी प्रतिभाओं को विकसित करने का अवसर देने के मामले में सबसे आगे है। पीचडी की डिग्री प्राप्‍त करने वालों की संख्‍या के मामले में भारत का दुनिया में तीसरा स्‍थान है। उच्‍च‍ शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत एक मजबूत मानव संसाधन कार्यबल तैयार कर रहा है जो देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी आगे ले जाएगा।

Share this news

About desk

Check Also

3 bridges fall in Bihar: It’s 9 in 15 days now

Share this news

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *