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महाप्रभु श्री लिंगराज की रीति के साथ जुड़ी है ऐतिहासिक विंदुसागर पुष्करिणी
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विंदु सागर के जल को स्वच्छ रखना हमारा नैतिक दायित्व: नवीन पटनायक
भुवनेश्वर. राजधानी भुवनेश्वर स्थित ऐतिह्य सम्पन्न पुष्करिणी विन्दुसागर की सफाई के लिए शनिवार को स्वच्छ विन्दुसागर प्रोजेक्ट का शुभारंभ मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एवं केन्द्र मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने किया है. इस पुष्करिणी के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए भाग लिए तो वहीं केन्द्र मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान विंदुसागर तट पर मौजूद रहे. इसके अलावा भुवनेश्वर लोकसभा की सांसद अपराजिता षडंगी, मंत्री प्रफुल्ल मलिक एवं अशोक पंडा प्रमुख भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
विडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए इस शुभारंभ कार्यक्रम में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सबसे पहले इस सफाई कार्यक्रम में सहयोग करने के लिए आईओसीएल एवं केन्द्र मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के प्रति आभार प्रकट किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि महाप्रभु श्री लिंगराज की नीति के साथ विंदुसागर का संपर्क है. भुवनेश्वर की संस्कृति, परंपरा के साथ विंदुसागर जुड़ा हुआ है. विंदु सागर के जल को स्वच्छ रखना हमारा नैतिक दायित्व है. प्रभु लिंगराज की पवित्र पुष्करिणी विंदुसागर के पुनरूद्धार एवं सौंदर्यीकरण के लिए आईओसीएल ने 70 लाख रुपया दिया है. यह प्रोजेक्ट कार्य इंस्टीट्यूट आफ केमिकल टेक्नोलाजी (आईसीटी) एवं ओडिशा ब्रीज कार्पोरेशन के संयुक्त निगरानी में सम्पन्न होगा. पहले विंदु सागर के पानी का विशोधन किया जाएगा और फिर इसके बाद यहां सौन्दर्यीकरण कार्य किया जाएगा. वैज्ञानिक पद्धति में इस पुष्करिणी का विशोधन कर इस पुरातन एवं ऐतिहासिक पोखर का पुनरुद्धार कर इसे पहले की ही तरह स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
गौरतलब है कि 1300 फुट लम्बे एवं 700 फुट चौड़े इस पवित्र पुष्करिणी के पुनरूद्धार एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 2007 में बीएमसी की तरफ से एक करोड़ रुपया खर्चा किया गया था. हालांकि इससे कोई भी लाभ नहीं हुआ. इसके बाद नगर विकास विभाग की तरफ से 2013 में इस पुष्करिणी की सफाई की गई. इसके लिए 1 करोड़ 76 लाख रुपया खर्च हुआ था. पहले ड्रेनेज डिवीजन को यह दायित्व दिया गया था. इसके बाद ड्रेनेज डिवीजन से दायित्व लेकर ओडिशा निर्माण निगम (ओसीसी) को दिया गया. 2014 में ओसीसी ने सफाई कार्य खत्म किया. उस समय एक बड़ी मशीन के जरिए पुष्करिणी में मौजूद कचरा को बाहर निकाल दिया गया था. हालांकि इससे भी कोई लाभ नहीं हु. 2015 में पोखर पुन: कचरा भर गया और पुराने अवस्था में आ गई. उस समय पोखर से जो कचरा निकला था उसके वजन के हिसाब से ठेकेदार को बीएमसी ने पैसा दिया था. इसके बाद 2017 में बीएमसी की तरफ से सफाई के लिए 10 कर्मचारी लगाए गए. इस इलाके के मार्ग को साफ करने के लिए ठेका लेने वाले ठेकेदार सफाई कार्य किया मगर इससे भी कोई विशेष लाभ नहीं हुआ. इस ऐतिहासिक पोखर को दलदल मुक्त करने के प्रयास में करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं मगर इसका पुनरूद्धार नहीं हो पाया. ऐसे में अब नई तकनीकी के जरिए विन्दुसागर को नया रूप दिया जा रहा है, जिसका राजधानी वासियों से लेकर पर्यटक भी इंतजार कर रहे हैं.