नागपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश उपाख्य भैयाजी जोशी ने कहा कि देश में परिवर्तन का चक्र गतिमान हो चुका है। उन्होंने देश के युवाओं का आह्वान किया कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के मूक साक्षी नहीं बल्कि परिवर्तन का हिस्सा बनकर बलशाली, स्वाभिमानी और स्वावलंबी भारत के पुनर्निर्माण का प्रयास करें।
नागपुर में स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर के महर्षि व्यास सभागार में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 66वें राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा कि करोना काल में पूरी दुनिया के लोग सहायता के लिए अपनी सरकारों की ओर देख रहे थे। वहीं भारत में समाज के विभिन्न तबकों से लोग एक-दूसरे की सहायता के लिए आगे बढ़़े। जिससे जो बन पड़ा वह एक-दूसरे के लिए किया। भारत का यह सामाजिक बर्ताव हमें पूरी दुनिया से अलग खड़़ा करता है। हमारे इस सामाजिक आचरण में पूर्वजों से प्राप्त संस्कार, ज्ञान और स्नेह की बड़ी भूमिका है। भारत ने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया। हमने दुनिया को शस्त्र नहीं अपने शास्त्र से अवगत कराया।
सरकार्यवाह ने कहा कि पूरी दुनिया ज्ञान बांटने के बजाय उसका पेटेंट करने में विश्वास रखती है। वहीं हम पेटेंट की कल्पना को अस्वीकार करते हुए अपना ज्ञान पूरी दुनिया में बांटने में विश्वास रखते हैं। हमारी इसी सामाजिक जीवनदृष्टि से जीवनमूल्य और जीवन शैली विकसित हुई है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश का नेतृत्व और उस नेतृत्व के जनता से जुड़ाव की वजह से पूरी दुनिया में भारत का सम्मान बढ़़ा है। उन्होंने कहा कि तामिलनाडु के लोग अब प्रधानमंत्री मोदी की बातों को समझने के लिए हिन्दी सीखने का प्रयास कर रहे हैं। बतौर भैयाजी जोशी; हमारे प्रधानमंत्री को विदेशों में हिन्दी बोलते देख देश के अन्य भाषाई लोगों द्वारा अपने प्रधानमंत्री की बात समझने के लिए भाषा का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना देश को भीतर से जोड़ता है।
भैयाजी जोशी ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी को अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी। महाभारत के पात्र महात्मा विदुर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए जोशी ने कहा कि महात्मा विदुर ने कभी सत्ता के सामने अपना सिर नहीं झुकाया। वह अपने विवेक से सत्ता को सत्य का मार्ग दिखाने का सामर्थ्य रखते थे। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र की सफलता के लिए देश के सामान्य लोगों में विदुर की भांति विवेक के आधार पर सत्य कहने का सामर्थ्य निर्माण होना बेहद जरूरी है। जोशी ने कहा कि देश को विश्वगुरु बनाने के लिए इस देश के आम आदमी के मन में वैश्विक नेतृत्व का भाव पैदा होना बेहद जरूरी है।
संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि जब देश के सामान्य व्यक्ति के मन में विश्वास जगेगा कि हम दुनिया को बेहतर तरीके से रास्ता दिखा सकते हैं तभी हम विश्वगुरु बनने की राह पर गति से चल पड़ेंगे।
बहरहाल एबीवीपी के इस राष्ट्रीय अधिवेश में देश के 4 हजार स्थानों से 1.5 लाख से अधिक कार्यकर्ता ऑनलाईन सम्मिलित हुए।
साभार-हिन्दुस्थान समाचार