-
पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ के दर्शन के नियम तोड़ने पर कार्रवाई की मांग
-
श्री जगन्नाथ सेना ने भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाये
-
सुरेश चंद्र महापात्र ने दी सफाई
-
कहा- श्री मंदिर संचालन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में गया था व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने
प्रमोद कुमार प्रृष्टि, पुरी
ओडिशा के नये मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए स्थानीय पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी है. साथ ही इन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाये गये हैं. श्री जगन्नाथ सेना ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. पहला आरोप लगा है कि लगभग नौ महीने बाद खुले महाप्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर में दर्शन के नियम का महापात्र ने उल्लंघन किया है. मंदिर में पहले 23 से सिर्फ सेवायत और उनके परिवार के सदस्यों को दर्शन के लिए अनुमति मिली थी. जिलाधिकारी बलवंत सिंह ने साफ तौर पर कहा था कि इस दौरान नियमों को तोड़ने वालों पर कोरोना नियमों के तहत कार्रवाई की जायेगी. 26 दिसंबर से सिर्फ पुरी शहर से लोगों को दर्शन के लिए छूट है.
आरोप है कि ऐसी स्थिति में सुरेश चंद्र महापात्र ने श्री मंदिर में जाकर महाप्रभु के दर्शन करने के नियमों का उल्लंघन किया है. इसे लेकर आज श्रीमंदिर के सामने में स्थित सिंहद्वार थाने में श्री जगन्नाथ सेना की तरफ से राष्ट्रीय संयोजक व एडवोकेट प्रियदर्शन पटनायक ने एक लिखित मामला दर्ज करने की मांग थाना प्रभारी से की है. उन्होंने एक शिकायत की कापी भी सौंपी है. उन्होंने कहा है कि 25 दिसंबर शाम को ओडिशा के नए मुख्य शासन सचिव सुरेश चंद्र महापात्र श्री मंदिर में पहुंचकर भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन किए थे, जो कि उनके अधिकार के तहत नहीं था. सरकार निर्णय के अनुसार, 23, 24, 25 तक तीन दिन श्री मंदिर के सेवायतों व उनके परिवार के लिए दर्शन की तिथि तय थी. उन्होंने सवाल किया कि किस तरह महापात्र श्री मंदिर में प्रवेश किया. उन्होंने कहा कि नियम बनाकर खुद उन्होंने नियम तोड़ा है. इसलिए महापात्र के खिलाफ कार्रवाई की जाये.
इधर, इस आरोप पर सुरेश चंद्र महापात्र ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मैं श्रीमंदिर संचालन कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष हूं. इस नाते श्री मंदिर में व्यवस्था का निरीक्षण करना मेरा अधिकार है. इसीलिए श्री मंदिर के अंदर और बाहर दोनों तरफ की व्यवस्था का निरीक्षण कभी भी करने की अधिकार है. इस पर अधिवक्ता पटनायक ने कहा कि कल इन्होंने कहा था कि वह नये मुख्य सचिव के पदभार संभालने से पहले महाप्रभु का आशीर्वाद ग्रहण करने आये हैं. उन्होंने कई योजनाओं का जिक्र किया, लेकिन मंदिर संचालन समिति से संबंधित एक भी बात उन्होंने नहीं कही. उन्होंने कहा कि आईजी आशीष सिंह भी व्यवस्था देखने आये थे, उन्होंने बाहर से ही सारी व्यवस्थाएं देखी. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी भी बाहर से दर्शन करके चले गये. उन्होंने सवाल किया कि मंदिर में कौन की बैठक चल रही थी, जिसमें शामिल होने के लिए वह अंदर गये. उन्होंने दूसरा आरोप लगाया है कि महापात्र दो करोड़ की ओमफेड दुर्नीति और श्रीमंदिर के जमीन की बिक्री करने के फंसे हुए हैं. श्रीमंदिर के झारूदार के लिए एक एनजीओ बनाकर उनके पास लाखों लाख रुपये जा रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से भी पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाया है. हालांकि खबर लिखे जाने तक भ्रष्टाचार के आरोप पर सुरेश महापात्र की प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी थी.