नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रवक्ता एवं विचारक माधव गोविंद वैद्य (एमजी वैद्य) का रविवार को अंबाझरी स्थित शमशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। वैद्य की शवयात्रा आज सुबह 9.30 बजे नागपुर के विद्याविहार, प्रतापनगर में उनके निवास स्थान से रवाना हुई। उनके बड़े बेटे धनंजय ने मुखाग्नि दी। वैद्य का नागपुर के स्पंदन अस्पताल में शनिवार को निधन हो गया था। वे 97 वर्ष के थे।
अंतिम यात्रा से पहले सरसंघचालक मोहन भागवत ने घर जाकर वैद्य परिवार को सांत्वना दी। इस अवसर पर भागवत ने कहा कि वैद्य के चले जाने के कारण संघ ने अपना शब्दकोश खो दिया। वह हमेशा संघ को सही मार्गदर्शन देते थे। उनके जाने से एक रिक्तता पैदा हो गई है। भागवत ने कहा कि उन्होंने जीवन जीने का एक आदर्श उदाहरण दिया। श्रद्धांजलि देने के लिए अंबाझरी घाट पर दो मिनट का मौन रखा गया। 31 दिसम्बर को शाम 6.30 बजे रेशमबाग स्थित स्मृति मंदिर परिसर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी।
महाराष्ट्र के वर्धा जिले के तरोडा ग्राम में 11 मार्च 1923 को जन्मे वैद्य को अब तक के सभी सरसंघचालकों के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। किसान परिवार में जन्मे वैद्य ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर नागपुर के मॉरिस कॉलेज में बतौर प्रोफेसर नौकरी प्रारंभ की। एमजी वैद्य देश के चुनिंदा संस्कृत भाषा के विद्वानों में शुमार थे। उन्होंने संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के कहने पर वर्ष 1966 में सरकारी नौकरी छोड़कर तरुण भारत समाचार पत्र में बतौर सम्पादक सेवाएं दीं। महाराष्ट्र की पत्रकारिता में उनकी लेखन शैली का लोहा माना जाता रहा है। वे 1978 से 1984 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उन्होंने बौद्धिक एवं प्रचार प्रमुख का दाय़ित्व निभाया था।
वैद्य के परिवार में पत्नी सुनंदा वैद्य, पुत्र डॉ. मनमोहन वैद्य (सह सरकार्यवाह), धनंजय, श्रीनिवास, शशिभूषण, डॉ. राम (हिंदू स्वयंसेवक संघ सह संयोजक) और कन्या विभावरी नाईक, डॉ. प्रतिभा राजहंस तथा भारती कहू और पोते-पोतिया हैं। अंतिम संस्कार के समय सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, भाजपा शहर अध्यक्ष विधायक प्रवीण दटके और वैद्य परिवार के रिश्तेदार और शुभचिंतक मौजूद थे।
साभार-हिस
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