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विरोध के कारण राज्य सरकार पर छोड़ा गया मंदिर खोलने का निर्णय
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सेवायतों ने दर्शन के लिए भक्तों की संख्या बढ़ाने, दान-दक्षिणा और प्रसाद ग्रहण करने देने की अनुमति की मांग की
प्रमोद कुमार प्रृष्टि, पुरी
आज यहां छतीसा नियोग की बैठक में श्रीमंदिर को खोलने के लिए मापदंडों को लेकर सेवायतों में मतभेद होने की बात निकल कर सामने आयी है. कुछ सेवायतों ने मंदिर प्रशासन का साथ दिया है, तो कुछ सेवायतों के दल ने मापदंडों का विरोध किया है. विरोध करने वाले सेवायतों ने श्रीमंदिर में भक्तों की संख्या पांच हजार तक सीमित करने पर आपत्ति जतायी है, जबकि आम दिनों में लाखों की संख्या में भक्त यहां दर्शन करने आते थे. नाम गुप्त रखने की शर्त पर कुछ सेवायतों ने बताया कि आज सरकार ने बाजार, शापिंग माल, बसें, ट्रेनें आदि को खोल दिया है. उन्होंने सवाल किया कि कौन नहीं जानता है कि यहां कितनी भीड़ होती है. फिर मंदिर में संख्या सीमित क्यों की जा रही है. बाजारों, बसों और ट्रेनों में उमड़ रही भीड़ से कोरोना नहीं फैल रहा है, तो सिर्फ श्रीमंदिर में ही कोरोना कैसे फैलेगा, जबकि राज्य में कोरोना की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है. साथ ही सेवायतों ने भक्तों को खुले दर्शन की छूट देने की मांग, जिससे वे महाप्रभु के मंदिर मत्था टेक सकें और गरुड़ स्तंभ का आलिंगन कर सकें. साथ भक्तों को प्रसाद देने और दान-दक्षिणा देने की छूट देने की मांग भी की गयी है. बैठक में आनंदबाजार में भोजन करने की व्यवस्था को लेकर भी कुछ ठोस निर्णय नहीं हो पाया है. इसलिए मंदिर प्रशासक ने इन सभी मुद्दों पर खुलकर कुछ भी नहीं और एक सुनियोजित तरीके से पूरा का पूरा निर्णय राज्य सरकार के पाले में छोड़ दिया, जबकि राज्य सरकार ने कहा कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए मंदिर और स्थानीय प्रशासन मंदिरों को खोलने का निर्णय ले सकते हैं. ऐसे में सेवायतों ने सवाल उठाया कि आखिर निर्णय क्यों टाला गया. इधर, पुशपालक नियोग के अध्यक्ष महावीर सिंघारी ने सरकार की व्यवस्था पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि अगर भारत के सभी मंदिर को खोला जा रहा है, तो यहां भी मंदिर भी सही तरीके से सभी भक्तों के लिए खोला जाये. लाखों में सिर्फ पांच हजार श्रद्धालुओं के लिए अनुमति क्यों? बसों में भीड़ उमड़ रही है, दारू की दुकानों में भीड़ उमड़ रही है, बाजारों में भीड़ उमड़ रही है, वहां तो कोरोना नहीं फैल रहा है, तो यहां भक्तों की संख्या सीमित क्यों की जा रही है. हालही संपन्न चुनावों के बाद भी कोरोना की संख्या नहीं बढ़ी है, तो सरकार को संख्या सीमित नहीं करनी चाहिए. साथ ही सेवायतों ने बच्चों और बुजुर्गों को न आने का अनुरोध किया है.