नई दिल्ली। देश कि सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर नया संगठन बनाने कि मांग करने वाली याचिका खारिज कर दि है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टीस चंद्रचूड कि बेंच ने याचिकारर्ता के फटकार लगाते हुए सवाल पुछा कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से अपने नये संगठन का रजिस्ट्रेशन करवाने कि पिछे क्या उद्देश्य है ? क्या याचिकाकर्ता समाज में संघ के नाम पर दुसरा संगठन बना कर भ्रम फैलाना चाहते है ? सुप्रीम कोर्ट ने पिटीशन खारिज करते हुए कहा की, ऐसे किसी नये संगठन को पहले से मौजूद संगठन के नाम पर रजिस्ट्रेशन नही दिया जा सकता ।
महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाले जनार्दन मून नामक व्यक्ती ने “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” नाम से नया संघटन शुरू करने कि अर्जी नागपुर के चैरिटी कमिश्नर कार्यालय में दाखिल कि थी। इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद चैरिटी कमिश्नर ने मून कि मांग को ठुकराते हुए उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद जनार्दन मून ने हाईकोर्ट में पिटीशन फाईल करते हुए आरएसएस नाम से नया संगठन शुरू करने कि गुहार लगाई। लेकिन हाईकोर्ट ने इस मांग पर विचार करने से इन्कार कर दिया। नतीजतन याचिकाकर्ताने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाईल कर आरएसएस नाम से नया संगठन शुरू करने कि इजाजत मांगी।
मून कि इस याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में जस्टीस धनंजय चंद्रचूड कि बेंच के सम्मुख सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट नें याचिकाकर्ता पर सवालो कि झडी लगा दी। सर्वोच्च अदालत ने पुछा की, आरएसएस नाम से संघठन शुरू करने के पिछे क्या उद्देश्य है ? याचिकाकर्ता देशभर में फैले संघ के लाखो स्वयंसेवको को भ्रमित करना चाहते है क्या ? सुप्रीम कोर्ट कि ओर से पुछे गए सवालो का याचिकाकर्ता के पास कोई ठोस जबाब नही था। जिसके चलते जनार्दन मून ने अपनी पिटीशन पिछे लेने कि अनुमती मांगी । लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने पिटीशन पिछे लेने अनुमती देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
साभार- हिस