नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा कंपनी और विद्युत मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उपक्रम, एनटीपीसी लिमिटेड ने 4 दिसंबर को नर्मदा प्राकृतिक सौंदर्य पुनर्स्थापना परियोजना को लागू करने के लिए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम के तहत समान अनुपात में एनटीपीसी लिमिटेड और यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) से अनुदान सहायता के साथ साझेदारी है।
4 साल की यह परियोजना मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ओंकारेश्वर और महेश्वर बांधों के बीच नर्मदा नदी की चयनित सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में लागू की जाएगी। भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के तहत सरकार से सहायता प्राप्त एक स्वायत्त संस्थान है, ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट (जीजीजीआई) के साथ संयुक्त रूप से इस परियोजना को लागू करेगा जो एक अंतर-सरकारी संगठन है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में टिकाऊ और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। जीजीजीआई, यूएसएआईडी की सहायता से इस परियोजना में भाग लेगा जो अमेरिकी सरकार की अंतर्राष्ट्रीय विकास शाखा का एक हिस्सा है।
एनएलआरपी का सहयोगी और सहभागी दृष्टिकोण नदी के संसाधनों की निरंतरता और जल संसाधनों पर वन और कृषि प्रथाओं का प्रबंधन करेगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक प्रोत्साहन प्रणाली स्थापित करना है जो नर्मदा नदी घाटी के सहायक वन और कृषि समुदायों के स्थायी परिदृश्यों को बनाए रखने में सहायक हो। इससे नर्मदा की सहायक नदियों में पानी की गुणवत्ता और मात्रा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
श्री एस.एम. चौधरी, कार्यकारी निदेशक (एसएसईए) और सीएसओ, एनटीपीसी लिमिटेड ने कहा कि, “एनटीपीसी लिमिटेड अपने व्यवसाय और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र के सतत विकास के साथ-साथ समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के साथ एक स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने आगे कहा, “एनएलआरपी के माध्यम से, एनटीपीसी लिमिटेड मुख्य रूप से पानी, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिए प्रकृति-आधारित समाधानों का विस्तार कर रहा है। एनएलआरपी भी एनटीपीसी के भूमि, जल और वायु से संबंधित स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण में योगदान देने के सततता दृष्टिकोण के साथ जुड़ा हुआ है। हम इस परियोजना में आईआईएफएम, जीजीजीआई और यूएसएआईडी के साथ भागीदारी करके उत्साहित हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं जो मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में किसानों, वन समुदायों और साथ ही महिलाओं को लाभान्वित करेगा।”
आईआईएफएम, भोपाल के निदेशक डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने कहा, “एनटीपीसी – आईआईएफएम – जीजीजीआई – यूएसएआईडी के सहयोग वाली यह संघ परियोजना नया खाका खोलेगा जो पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हमारे जलविभाजकों का प्रबंधन करेगा। साथ ही शहरी जल आपूर्ति की शुद्धि का एक बेहतर तरीका भी पेश करेगा।” उन्होंने कहा कि, “प्राकृतिक वनों के पारिस्थितिकी तंत्र के रख-रखाव के लिए ग्रामीण समुदायों को प्रोत्साहन और जल स्रोत क्षेत्र के पानी की प्राकृतिक शुद्धि के लिए मानव निर्मित प्रतिरोधकों का निर्माण इंदौर के जल उपभोक्ताओं के साथ-साथ गांवों के निवासियों के लिए भी जीत जैसी स्थिति होगी।”
प्रोत्साहन प्रणाली और पानी की गुणवत्ता और मात्रा के परिणामों में सुधार से इंदौर शहर को बहुत लाभ होने की उम्मीद है, क्योंकि नगरपालिका के लिये 60 प्रतिशत से अधिक पानी की आपूर्ति नर्मदा नदी से ही होती है।
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