रांची. देश की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कंपनी एनटीपीसी अपने सीएसआर अभियान के तहत झारखंड के पकरी बारवाडीह क्षेत्र में अनेक परियोजनाओं का संचालन कर रही है। इन परियोजनाओं से हजारों की संख्या में परियोजना प्रभावित व्यक्ति (पीएपी) लाभान्वित हो रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र में हाल के दौर में कोयला खनन गतिविधियों में उत्पन्न व्यवधान के कारण सीएसआर गतिविधियों को लागू करने में भी बाधा आ रही है। कंपनी का मानना है कि सीएसआर गतिविधियों को जारी रखने के लिए कोयला खनन गतिविधियों की बहाली भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कोविद- 19 महामारी के फैलने के समय से एनटीपीसी पाकरी बारवाडीह ने स्थानीय लोगों की बेहतरी के लिए अनेक सीएसआर पहलों को पूरा करने के लिहाज से करीब 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। एनटीपीसी ने जिला प्रशासन की सहायता करते हुए क्षेत्र में 4 क्वारेंटाइन केंद्रों पर 8 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए। साथ ही, जिला अस्पताल में फायर टेंडर इत्यादि के माध्यम से मास्क और सेनिटाइजर का वितरण भी किया। इसके अलावा, बुनियादी ढांचे के निर्माण में कंपनी परियोजना प्रभावित लोगों को सपोर्ट भी कर रही है और उनकी सुविधा के लिए सड़कों का निर्माण, प्रभावित गांवों में पीसीसी सड़कें, हैंड पंप, बोरवेल, नालियां, सोलर लाइट और स्थानीय लोगों के लिए विभिन्न चिकित्सा शिविरों का आयोजन भी कर रही है।
दुर्भाग्य से, पिछले दो महीनों से खनन कार्यों में बड़े व्यवधान के कारण एनटीपीसी को 85 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
एनटीपीसी कोयला खानों की विस्तार की भी योजना है और कंपनी ने स्थानीय आईटीआई में डीजल मैकेनिक, हैवी माइनिंग मशीनरी जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना भी बनाई है। लेकिन कोयला खनन गतिविधियों के फिर से बहाल होने में देरी होने के कारण इन नए पाठ्यक्रमों के समय पर शुरू होने पर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। इसके अलावा, अगर खनन गतिविधियाँ जल्द ही फिर से शुरू नहीं होती हैं, तो पहले से चल रहे पाठ्यक्रम भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। आईटीआई का सुचारू संचालन स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन संस्थानों के माध्यम से ही स्थानीय स्तर पर ऐसे युवाओं को तैयार किया जाता है, जो इंडस्ट्री मंे सीधे काम हासिल कर सकते हैं।
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