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मार्च 2021 तक ‘हर घर जल’ पहुंचाने के लक्ष्य में गांव की सामुदायिक भागीदारी उत्साहजनक रही
नई दिल्ली. हरे-भरे धान के खेतों के बीच, एक छोटी सी जल धारा के किनारे, एक निर्मल छोटा सा गांव माइली बसा हुआ है। यह गांव अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से में नामसाई जिले के चौखाम ब्लॉक के तहत जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर स्थित है। माइमी गांव में 42 परिवार रहते हैं। सभी ग्रामीण शांतिप्रिय और बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। इनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। हालांकि उनमें से कुछ लोग सरकारी सेवा और अन्य व्यवसायों में भी लगे हुए हैं। ये लोग खुश रहते हैं और जीवन का आनंद उठाते हैं। यहां के लोगों के लिए पीने के पानी की कमी एक बड़ी समस्या है।
घर की महिलाओं को इस छोटी जल धारा से पानी लेना पड़ता था। हालांकि, उनके घर इस जलधारा से लगभग 300 मीटर दूरी ही हैं। पीने और खाना पकाने , नहाने और कपड़े धोने के लिए साफ पानी की जरूरत होती है। घर में हैंड पंप है, लेकिन उसका पानी दूषित है। इस पानी में दुर्गंध आती है और इस पानी से कपड़े धाने से कपड़े लाल रंग के हो जाते हैं। इसलिए इस पानी का उपयोग केवल साफ-सफाई, टॉयलेट फ्लशिंग जैसे कार्यों में किया जाता है। कभी-कभी जब कोई महिला जल धारा से पानी नहीं ला पाती, तो उसकी बेटियां यह कार्य करती हैं। मानसून के दौरान, जल धारा ओवरफलो हो जाती है और इसमें मिट्टी मिल जाती है, जिसके कारण पानी में गंदगी बढ़ जाती है। तब गांव के लोग अपने पीने की पानी की जरूरत कम खुदाई किए गए कुंए से करने के लिए मजबूर होते हैं। इस कारण उनके बच्चे बीमारी हो जाते हैं और अपनी अर्धवार्षिक स्कूल परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। डॉक्टर ने कहा कि यह दूषित जल उन्हें बीमार कर रहा है। यह माइमी गांव के हर घर की कहानी है। यहां लोगों को जल धारा और हैंड पंप के प्रदूषित पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। महिलाओं को अपनी दैनिक पानी की जरूरतों को के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीणों के लिए जल जीवन मिशन नामक प्रमुख कार्यक्रम पेश किया गया। सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और जल आपूर्ति विभाग, अरुणाचल प्रदेश के अधिकारियों ने उन्हें इस कार्यक्रम से अवगत कराया। हर घर जल के विचार से उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए। यह सब उनके सपने सच होने जैसा था। ग्रामीणों के साथ सामुदायिक भागीदारी की अवधारणा बहुत अच्छी रही। वे इस मिशन का हिस्सा बनने से बहुत खुश हैं। जेजेएम के उद्देश्य को लागू करने की दिशा में ग्राम सभा ने एक कदम आगे बढ़ाया और ग्राम कार्य योजना (पीएपी) पर विचार-विमर्श किया गया।
गांव के हर घर तक एचडीपीई पाइप नेटवर्क के साथ गहरे बोरवेल से सौर ऊर्जा आधारित जल उपचार संयंत्र लगाने का ग्राम सभा द्वारा अनुमोदन किया गया। ग्रामीणों ने विभाग की मदद से पाइप नेटवर्क नक्शा भी तैयार किया। ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का भी गठन किया गया। इस समिति की भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में भी जानकारी दी गई। गांव के सभी वर्गों के लोगों को इस समिति में शामिल किया गया। इनमें गाँव बरहा (गाँव के बुजुर्ग), आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता तथा स्कूल के शिक्षक शामिल किए गए। इस समिति में 50 प्रतिशत महिला सदस्य हैं, जो जल जीवन मिशन की सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
माइमी गाँव को जल उपलब्ध कराने की योजना का राज्य स्तरीय योजना मंजूरी समिति (एसएलएसएससी) द्वारा अनुमोदन किया गया है और इसे मार्च 2021 तक पूरा करने का प्रस्ताव है। ग्रामीणों ने श्रम के रूप में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी में अपना योगदान देना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में और अधिक जागरूकता बैठकें तथा आईईसी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जिनमें क्षमता निर्माण और सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में जल गुणवत्ता फील्ड टेस्टिंग किट के साथ जल परीक्षण, स्रोत स्थिरता आदि विभिन्न पहलुओं के संबंध में कार्यान्वयन सहायता एजेंसी को शामिल किया जाएगा, ताकि गाँव के हर घर को पीने के पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके। स्थानीय समुदाय की ऐसी सक्रिय भागीदारी के साथ यह केवल कुछ ही महीनों की बात है कि माइमी गांव के लोग हर घर जल के साथ जल जीवन मिशन के तहत एक स्थापित जल आपूर्ति प्रणाली होने का गौरव प्राप्त करेंगे।
केंद्र सरकार का प्रमुख कार्यक्रम, जल जीवन मिशन 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में पाइप द्वारा पेयजल कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से राज्यों के साथ साझेदारी के तहत कार्यान्वित हो रहा है। मिशन का उद्देश्य नियमित और दीर्घकालिक आधार पर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) के सेवा स्तर पर प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार लाया जा सके।