Home / National / जीरादेई में राजेंद्र बाबू के बारजे की टूटी खपरैल ही है देश की वास्तविक स्थिति

जीरादेई में राजेंद्र बाबू के बारजे की टूटी खपरैल ही है देश की वास्तविक स्थिति

  • सीवान और दरौंदा में निर्दल दे रहे हैं दलों के दलदल को चुनौती

  • रघुनाथपुरमें मुख्य चुनाव कार्यालय में पसरा मिला सन्नाटा

धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव,जीरादेई

बिहार की वह मिट्टी जिसने देश को प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद जैसा रत्न दिया। बिहार का चुनावी ताप समझते हुए मुझे भी 22 अक्टूबर को यूपी के विधानपरिषद सदस्य यशवन्त सिंह के नेतृत्व में इस माटी को प्रणाम करने का अवसर मिला।

शीश स्वतः झुक गया राजेन्द्र बाबू के पैतृक आवास को देखकर। साफ-सफाई मनमोहक। उनकी स्मृतियों को पुरात्तव विभाग ने सजोंकर रखा है। इसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम है, लेकिन राजेन्द्र बाबू की मूर्ति के गले में पड़ी माला सूखी हुई थी। भला हो यूपी के एमएलसी यशवन्त सिंह का, उन्होंने उसे उतरवाया और उन्हें ताजा फूलों का श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
सरसरी नज़र से स्मारक की तरफ देखने पर साफ सफाई और रंगरोगन ठीक-ठाक नज़र आ रहा था। इसे लेकर मैं तो प्रसन्न हो गया और इसे व्यक्त कर दिया पास खड़े एक आदमी से। उसने अपनी उंगली उठा दिया बारजे की ओर। मैंने देखा कि बारजा की खपरैल टूटी और उखड़ी हुई है।
मेरा उत्साह ठंडा पड़ गया। विषय बदलते हुए मैंने उस आदमी से पूछा कि बिहार में इस बार क्या हो रहा है? एक ने कहा कि अभी फैसला नहीं लिया है। दूसरे ने हमीं से प्रश्न पूछ दिया कि क्यों उजागर करूँ? यह गोपनीय विषय है।
पड़ताल बढ़ाने के लिए एक प्रश्न और किया कि क्या स्थिति है अब बिहार की। उसने बारजे की टूटी खपरैल की तरफ फिर उंगली उठा दिया। फिर धीरे से बोला कि यही स्थिति बिहार की है, यही स्थिति देश की है। प्रचारतन्त्रों के माध्यम से जिस स्थिति को बयां किया जा रहा है, वह वास्तविक स्थिति नहीं है। वास्तविक स्थिति यह टूटी खपरैल ही है।
चुनाव की वजह से पूरे सीवान में गहमा गहमी है। मतदाताओं को रिझाने के लिए दो चार स्टार प्रचारक देश सेवक रोज सीवान भी आ रहे हैं, लेकिन कोई भी जीरादेई तक आकर भारत रत्न की मूर्ति पर श्रद्धासुमन चढ़ाने की जरूरत अभी नहीं समझ रहा है।
इस लेकर मैं सोच रहा था कि एनडीए उम्मीदवारों को जिताने के लिए टहल रहे विधानपरिषद सदस्य यशवन्त सिंह ने मुझी से सवाल दाग दिया। मित्र! भारत रत्न को प्रणाम कर लिए, नटवर लाल को नहीं प्रणाम करिएगा। वह भी यहीं के हैं। जीरादेई का उन्होंने भी नाम रोशन किया है। मैंने कहा, अवश्य। नटवर लालों को देश के अधिसंख्य लोग प्रणाम कर रहे हैं, तो मुझे भी करना पड़ेगा। और, हम लोग चल दिये नटवर लाल के गांव की ओर।
वहाँ पहुंचकर एक स्थानीय आदमी से पूछा कि श्रीमान नटवर लाल जी का मकान किधर है? उसने कहा, ” यहां उनका कहीं कुछ नहीं है, कोई निशान भी नहीं है। कहाँ चले गए वह या उनके परिजन, कुछ पता नहीं है।” मैंने पास खड़े श्री चन्द्रशेखर ट्रस्ट के लालबहादुर सिंह लालू, बृजेश कान्दू, चंचल चौबे, रविन्द्र कुमार सिंह और अभिमन्यु राजपूत से कहा, ” बुराई के जलजले का जलवा भी पानी के बुलबुले जैसा होता है। देखिए ! राजेन्द्र बाबू के बारजे की टूटी खपरैल भी लोगों को खल रही है। और नटवर लाल के विनाश को उपलब्धि के रूप में बयां किया जा रहा है।
वे लोग हँसकर मौन स्वीकृति दिए और हमलोग चल दिए मेंहदार स्थित प्रख्यात शिवमंदिर बाबा महेंद्र नाथ के दरबार में हाज़िर होने के लिए। रास्ते में रघुनाथपुर बाजार में मिला फिर से सरकार बनाने की दावा कर रहे गठबन्धन के एक उम्मीदवार का दफ्तर। वहां व्याप्त सन्नाटा उनकी चुनावी स्थिति बयां करने के लिए काफी था लेकिन इस समय मन जल्द महादेव महेंद्रनाथ के दरबार में पहुँचने को बेताब था। इसलिए पड़ताल करने की जगह चल दिया महादेव मन्दिर मेंहदार की ओर।
यह प्राचीन मंदिर और विशाल सरोवर महाराजा नेपाल की आस्था का परचम है। इस परचम को प्रणाम।
यहाँ दर्शन पूजा के बाद हम लोग फिर लौट आए उस सीवान और दरौंदा विधानसभा क्षेत्र की ओर। यहाँ मिले भाजपा के अमित कुमार सिंह और संजय कुमार श्रीवास्तव की माने तो इन दोनों क्षेत्रों में फिलहाल तक निर्दल उम्मीदवार दलों के दलदल को चुनौती दे रहे हैं।

0

User Rating: 4.55 ( 1 votes)
Share this news

About desk

Check Also

नौसेना को मिले अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस ‘सूरत’ और ‘नीलगिरी’ जहाज

पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों का ‘ब्लू वाटर’ में मुकाबला करने में सक्षम हैं दोनों जहाज …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *