-
आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए है यह जरूरी- केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री
-
कहा- देश में लगभग 2 मिलियन टन रिफ्रेक्ट्रीज की आवश्यकता
-
2030-31 तक 300 मिलियन टन की इस्पात क्षमता को प्राप्त करने का लक्ष्य
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सभी क्षेत्रों के उद्योगों को अपनी विनिर्माण क्षमताओं को और मजबूत करना होगा, ताकि हम आयात पर अपनी निर्भरता को कम कर सकें. वर्तमान में भारतीय इस्पात उद्योग की क्षमता 142 मिलियन टन है, जिसके लिए लगभग 1.2 मिलियन टन रिफ्रेक्ट्रीज की आवश्यकता है और इसमें से लगभग 30 प्रतिशत रिफ्रेक्ट्री का आयात किया जाता है.
वह भारत की सबसे तेजी से बढ़ने वाली रिफ्रैक्टरी कंपनी डालमिया-ओसीएल लिमिटेड में आज मैग्नेशिया कार्बन (एमजी-ओसी ब्रिक्स) के उत्पादन के लिए एक नई रिफ्रेक्ट्री लाइन का शुभारंभ करने के बाद संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत में रिफ्रेक्ट्री प्रोडक्शन को बढ़ाना बेहद जरूरी है. राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के अनुसार 2030-31 तक 300 मिलियन टन की इस्पात क्षमता को प्राप्त करने का लक्ष्य है, जिसके लिए रिफ्रेक्ट्री की मांग और बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि मैं नई मैग्नेशिया कार्बन लाइन के लिए डालमिया-ओसीएल को बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि वे इस्पात उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए और अधिक रिफ्रैक्टरी लाइनें स्थापित करेंगे और सही मायने में आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेंगे. इसके साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि संपूर्ण इस्पात उद्योग केवल भारतीय निर्माताओं से माल खरीदकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए एक साथ आए और आयात पर अपनी निर्भरता को कम करना शुरू करें.