Home / National / आनलाइन कविताओं में बिखरी राजस्थान की खुशबू

आनलाइन कविताओं में बिखरी राजस्थान की खुशबू

  • मुक्ति संस्था, बीकानेर की राजस्थानी भाषा दिवस पर आनलाइन राजस्थानी राष्ट्रीय काव्य-गोष्ठी आयोजित

  • भारत सरकार से राजस्थानी भाषा को तुरंत संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

  • पुष्पा सिंघी ने राजस्थानी बेटियों को जगाया

  • राजस्थानी संस्कृति को तीज त्यौहार में रमण करने का आह्वान किया

जोधपुर. मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में राजस्थानी भाषा दिवस के अवसर पर  राजस्थानी भाषा में राष्ट्रीय स्तर पर  काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। काव्य-गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रख्यात राजस्थानी रचनाकार जैसलमेर के ओमप्रकाश भाटिया थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की।

चौथी बार आयोजित इस काव्य गोष्ठी में राजस्थानी भाषा की अनुपम छवि उकेरी गई और अनेकानेक काव्य रंगों से कार्यक्रम बहुत पसंद किया गया।

इस अवसर पर काव्य-गोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रख्यात राजस्थानी रचनाकार जैसलमेर के ओमप्रकाश भाटिया ने सम्बोधित करते हुए कहा कि राजस्थानी कविता की सुदीर्घ परंपरा है। इसलिए राजस्थानी कविता में गेयता और अंतर्लय स्वत: प्रवाहित रहती है। समकालीन विषयों को पूरी संवेदनशीलता से अभिव्यक्त करती कविता समय के साथ कदम मिलाती चलती है। भाटिया ने बताया कि मुक्ति संस्था का यह बेहतरीन प्रयास है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कवि व कथाकार  राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा दस करोड़ से अधिक लोगों की मातृभाषा है तथा आजादी से पहले राजकाज, कोट- कचहरी की भाषा रही है, जोशी ने कहा कि 1200 सौ वर्षों से भी अधिक प्रभावी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में तुरंत  शामिल किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा प्रेम एवं अपनत्व की भाषा होने के कारण अनेक शब्द मौजूद हैं। राजस्थानी भाषा दिवस के अवसर पर आयोजित काव्य-गोष्ठी में बोलते हुए जोशी ने कहा कि हमारी भाषा के पास वह चारों तत्व उपलब्ध हैं, जो किसी भी भाषा में होने चाहिए जैसे शब्दकोश, व्याकरण, लिपि और समृद्ध साहित्य, ये चारों दस करोड़ से अधिक लोगों की वाणी में भी है, इसलिए भारत सरकार राजस्थानी भाषा को तुरंत संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करे।

जोशी ने कहा कि आज पढ़ी गयी राजस्थानी कविताओं को सुनने से स्पष्ट हो गया है कि राजस्थानी कविता अन्य भारतीय भाषाओं से बेहतरी की तरफ ले जाती हैं। कार्यक्रम संयोजक कविता मुखर एवं समन्वयक राजाराम स्वर्णकार ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थानी भाषा के युवा हास्य कवि बीकानेर के बाबूलाल छंगाणी ने अपनी चिर परिचित आवाज में ऑनलाइन जुड़े श्रोताओं को हंसा-हंसाकर लोट-पोटकर दिया। छंगाणी ने मुंडे रो सोजन, नूंवो नूंवो फ्रीज, अरदास एवं अमर रा मजा कविताओं का वाचन किया। घर आळी रे मूंडे रो सूजन आज ताईं उतार नी सक्यो हूँ सुनाकर छंगाणी अपनी पत्नी को भी हंसने से नहीं रोक सके।

राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि गीतकार एवं अपने ललित निबंधों के लिए जाने जाने वाले सत्यदेव संवितेन्द्र ने,“घर म्हारै तकदीरां जामी जद म्हारै लाडैसर आई” कविता से समाज में बेटियों के जन्म को बहुत ही ख़ुशनसीब बताया, जिसमें उन्होंने बेटी के जन्म के समय के लोगों के व्यवहार को अपनी कविता के माध्यम से दर्शाया साथ ही यह संदेश दिया कि बेटी लक्ष्मी स्वरूपा घर में खुशियाँ लाने वाली होती हैं और दो घरों में संबंधसेतु का जिम्मा उठाती हैं। वहीं उन्होंने राजस्थानी गजल,“सांस री इतरी कमाई भायला, जूण बिरथा ई गमाई भायला” से जीवन के शाश्वत सत्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज में अपने लय बद्ध राजस्थानी गीत,“ऊजळी आज” में “इण समै में आस नै कीं ऊजळीं तौ राखता” से अंतस के सतरंगी साँसों के रंग बिखेर कर वाहवाही लूटी।

राजस्थानी काव्य-गोष्ठी में गुड़ामालानी, बाड़मेर से राजस्थानी के प्रतिष्ठित कवि छैलू चारण छैल ने काव्यभाषा और काव्य मंचों की स्थिति बिगाड़ने वाले लोगों पर अपने गीतों के माध्यम से सांगोपांग कटाक्ष किया। उन्होंने रचनाकारों के साथ-साथ श्रोताओं पर भी बात करते हुए कहा कि गळती कोरी कविमन री नी श्रोता रो स्वाद बिगड़ग्यो हैष् इसी गीत में छैल ने कविता के माध्यम से संदेश भेजें है।

छैल ने इतिहास में जो हमारे सपूत याद किये जाते हैं, उनको स्मरण करते हुए कहा कि इतियास पुरुष इण महाराणा री ओळ घणैरी आवै है उण पूत सपूता मायड़ रां री ओळ घणैरी आवै है सुनाकर वाहवाही लूटी।

राजस्थानी राष्ट्रीय काव्य-गोष्ठी में ओडिशा के कटक जिले से प्रख्यात  साहित्यकार पुष्पा सिंघी ने अनेक राजस्थानी गीत, कविता एवं दोहे सुनायें उन्होंने म्हैं बेटी राजस्थान री शीर्षक से गीत के माध्यम से राजस्थानी संस्कृति को तीज त्यौहार में रमण करने का आह्वान किया। सिंघी ने प्रेम कविता बा प्रेम सोधै है शीर्षक से सुनाकर ऑनलाइन श्रोताओं को प्रेम से सराबोर कर दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों ने राजस्थानी भाषा की मान्यता की माँग को आगे बढ़ाने में प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया। अंत में समन्वयक राजाराम स्वर्णकार ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, सामाजीकरण हो: डॉ. सुरेंद्र जैन

नई दिल्ली।तिरुपति मंदिर में प्रसादम् को गम्भीर रूप से अपवित्र करने से आहत विश्व हिंदू …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *