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मुंबई ब्लास्ट का निर्णय अंतिम नहीं, आनन्द मनाने वाले करें प्रतीक्षा: विहिप

नई दिल्ली। 11 जुलाई 2006 को मुंबई में सात लोकल ट्रेंनाे में बमों के धमाके हुए थे। 189 लोग मारे गए थे और 824 घायल हुए। यह आतंकवाद की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी।
उस समय की सरकार ने एक विशेष जांच टीम बनाई थी। जांच के बाद चालान फाइन किया था। विशेष न्यायालय ने 12 लोगों को दोषी पाया था। इनमें से 5 को मृत्युदंड और सात को उम्र कैद दी थी।

अब हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट कर सब अभियुक्तों को बारी कर दिया है।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने आज कहा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को शॉकिंग बताया है। सरकार ने इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की भी घोषणा की है।
स्पष्ट है कि हाई कोर्ट का निर्णय अंतिम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इसे परखेगी। यह सेमी फाइनल है, फाइनल अभी होना है। छमाही परीक्षा को सालाना परीक्षा का परिणाम नहीं माना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो लोग इस निर्णय पर खुशी मना रहे हैं, उन्हें भी बड़ी अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
यह चिंता की बात है कि इस निर्णय को आने में 19 साल लगे। हम आशा करेंगे कि इस विषय की गंभीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय अपील फाइल होने के बाद त्वरित सुनवाई कर निर्णय देगा।

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