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हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक और सैन्य ताकत पहले से ज्यादा मजबूत होगी
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में विशेष श्रेणी के पहले गोताखोरी सहायता पोत (डीएसवी) ’निस्तार’ को शामिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जलावतरण के बाद यह जहाज गहरे समुद्र में गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव कार्यों में सहायता के लिए पूर्वी नौसेना कमान में शामिल हो जाएगा। इसके शामिल होने से न केवल समुद्र के भीतर भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी सामरिक समुद्री स्थिति भी पहले से कहीं अधिक मजबूत होगी।
पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘निस्तार’ 08 जुलाई को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में 18 जुलाई को यह पोत भारत के समुद्री बेड़े का हिस्सा बनेगा। इस पोत को विशाखापत्तनम के हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और तैयार किया है। नौसेना में पहले ही ‘निस्तार’ नाम का एक पनडुब्बी बचाव पोत था, जिसे भारतीय नौसेना ने 1969 में तत्कालीन सोवियत संघ से हासिल करके 1971 में कमीशन किया था। इसने दो दशकों की सेवा में भारतीय नौसेना के गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब गोताखोरी सहायता पोत (डीएसवी) ’निस्तार’ इसी विरासत को आगे बढ़ाएगा।
डीएसवी ’निस्तार’ का आदर्श वाक्य ‘सुरक्षित यथार्थ शौर्यम्’ है, जिसका अर्थ ‘सटीकता एवं बहादुरी के साथ बचाव’ है, जो जहाज की मुख्य भूमिकाओं को सटीकता के साथ दर्शाता है। गोताखोरी सहायता पोत की लंबाई लगभग 120 मीटर की लंबाई है और डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग करके 10 हजार टन से अधिक भार विस्थापन की क्षमता है। इस जहाज पर विशाल डाइविंग कॉम्प्लेक्स एयर एंड सैचुरेशन डाइविंग सिस्टम के साथ मौजूद है। साथ ही पानी के अंदर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (आरओवी) और साइड स्कैन सोनार भी लगाया गया है, जो जहाज के परिचालन क्षेत्र को काफी हद तक बढ़ाता है।
इस पोत को गहरे जलमग्न बचाव वाहन (डीआरवी) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में शामिल करने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बचाव तैयारियों में एक बड़ी क्षमता वृद्धि होगी। पोत के निर्माण में कुल 120 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों ने भाग लिया है, जिसमें 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इस जहाज में ऑपरेशन थियेटर, गहन चिकित्सा इकाई, आठ बिस्तरों वाला अस्पताल और हाइपरबेरिक चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। पोत में समुद्र के अंदर 60 दिनों से अधिक समय तक टिके रहने की क्षमता, हेलीकॉप्टर के माध्यम से परिचालन करने की सुविधा है।
साभार -हिस