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मोटापे के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्रालय की तैयारी, कैंटीन में खाने-पीने की चीजों में मौजूद कैलोरी की देनी होगी जानकारी

नई दिल्ली। मोटापे की समस्या को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक खास रणनीति बनाई है। समोसा, जलेबी, कचौरी जैसे जायकेदार चीजों को बेचने वाले संस्थानों को अब इनमें मौजूद कैलोरी और शुगर की जानकारी देनी होगी। इस संबंध में स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी मंत्रालयों के सचिवों को पत्र लिख कर मोटापे के खिलाफ कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत सिगरेट की तरह सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक संस्थानों में अब खाने-पीने की चीजों में तेल और चीनी की मात्रा के बोर्ड लगाने के सुझाव दिए गए हैं। ये सूचनात्मक पोस्टर और डिजिटल बोर्ड का मकसद समोसे, कचौरी, पिज्जा, पकौड़े, केले के चिप्स, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम और चॉकलेट पेस्ट्री में मौजूद चीनी और तेल की सही मात्रा के बारे में जानकारी देना है।
सभी मंत्रालयों के सचिवों को 21 जून को लिखे गए पत्र में कई सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों में सभी सरकारी संस्थानों में तेली हुई चीजें, मिठाई जैसे खाने-पीने की चीजों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों (कैफेटेरिया, लॉबी, बैठक कक्ष और अन्य सार्वजनिक स्थानों) में तेल और चीनी बोर्ड के डिस्प्ले लगाने का सुझाव दिया गया। इसके साथ मोटापे से लड़ने के दैनिक अनुस्मारक को सुदृढ़ करने के लिए सभी आधिकारिक स्टेशनरी (लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड, फ़ोल्डर आदि) और प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संदेश छापने के सुझाव दिए गए हैं। पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक भोजन विकल्पों (अधिक फल, सब्ज़ियां और कम वसा वाले विकल्प) को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ कार्यस्थलों में सीढ़ियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना, छोटे व्यायाम का आयोजन करना और पैदल चलने के मार्गों को सुगम बनाना भी शामिल है। ये दृश्य संकेत और व्यावहारिक सुझाव गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2050 तक 44.9 करोड़ भारतीय ओवरवेट या मोटापे का शिकार हो जाएंगे। ऐसे में इस मामले में भारत सिर्फ अमेरिका से पीछे रह जाएगा। इसका सबसे बड़ा कारण खराब खानपान और कम गतिविधि है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी लोगों से कम तेल और चीनी के उपयोग करने की अपील की है।
साभार -हिस

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