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जाति जनगणना पारदर्शी, समावेशी और राजनीतिक दखल से मुक्त होनी चाहिए : सलीम इंजीनियर

नई दिल्ली। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रो. सलीम इंजीनियर ने आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जातिवार गणना को शामिल करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत किया है। इसके साथ ही उन्होंने इसे पारदर्शी, समावेशी और राजनीतिक दखल से मुक्त होने की मांग की है।
एक बयान में जमाअत उपाध्यक्ष ने कहा कि हम आगामी जनगणना में जातिवार गणना को शामिल करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं। जाति अभी भी भारत में एक मजबूत सामाजिक संरचना है जो शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व तक पहुंच को आकार देती है। यह पिछड़ी जातियों, दलितों और आदिवासियों द्वारा सामना किए गए ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने के लिए एक सामाजिक, कानूनी, प्रशासनिक और नैतिक आवश्यकता है। यह सकारात्मक कार्रवाई नीतियों की निगरानी के लिए सटीक डेटा प्रदान करेगी और इन समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करने में मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि केवल मापी गई चीज का ही अच्छे से प्रबंधन किया जा सकता है और इसलिए सूचित नीति निर्माण और समावेशी विकास के लिए जातिगत डेटा आवश्यक है। जातिवार गणना इन उपेक्षित समुदायों के लिए सकारात्मक व्यावहारिक नीतियों की निगरानी और उन्हें मजबूत करने के लिए सटीक आंकड़े उपलब्ध कराएगी, विशेष रूप से बढ़ते निजी क्षेत्र और घटती सरकारी नौकरियों के संदर्भ में।
सरकार के निर्णय को स्वीकार करते हुए प्रो. इंजीनियर ने जाति जनगणना कराने में सरकार की पूर्व अनिच्छा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जैसा कि संसद में दिए गए आधिकारिक बयानों से पता चलता है, सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से परे जाति जनगणना के पूरी तरह से खिलाफ थी लेकिन ऐसा लगता है कि उसने अंततः इसकी प्रभावशीलता को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पूरी प्रक्रिया के लिए एक निश्चित समयसीमा जारी की जानी चाहिए। जाति जनगणना के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया जाना चाहिए। जाति जनगणना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय होना चाहिए न कि राजनीतिक लाभ।
साभार – हिस

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