Home / National / गीताबेन श्रॉफ: नेतृत्व महत्वाकांक्षा से नहीं, सेवा से शुरू होता है

गीताबेन श्रॉफ: नेतृत्व महत्वाकांक्षा से नहीं, सेवा से शुरू होता है

NILESH SHUKLA गुजरात
Nilesh shukla, New Delhi

श्रीमती गीता श्रॉफ, एक प्रसिद्ध और समर्पित समाजसेविका है। अपना जीवन महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने “आद्यशक्ति”, “बेटी बचाओ संतुलन बनाओ”, “बच्चों की दुनिया” जैसे अनेक क्रांतिकारी अभियानों के माध्यम से शिक्षा, नेतृत्व और भावनात्मक कल्याण के क्षेत्र में न tireless योगदान दिया है।

एक विशेष साक्षात्कार में निलेश शुक्ला से बातचीत में उन्होंने अपने जीवन के सफर, सपनों, चुनौतियों और भविष्य की अटूट दृष्टि को साझा किया।

प्रश्न: क्या आप “आद्यशक्ति” कोर्स और इसके मुख्य उद्देश्यों के बारे में बता सकती हैं?

गीता श्रॉफ:
“आद्यशक्ति” केवल एक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं है, यह एक क्रांति है।
यह कोर्स महिलाओं को उनकी आंतरिक शक्ति से पुनः जोड़ने, समाज में उनकी भूमिका को समझने और उन्हें अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में पहल करने का आत्मविश्वास देने के लिए बनाया गया है।
इसका मूल उद्देश्य महिलाओं को सार्वजनिक जीवन, विशेष रूप से राजनीति और शासन में नेतृत्व के लिए तैयार करना है।
यहां महिलाओं को राजनीतिक शिक्षा, नेतृत्व कौशल, भावनात्मक स्थिरता, सार्वजनिक भाषण, सामाजिक सहभागिता, कानूनी अधिकारों और आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रशिक्षण दिया जाता है — ताकि वे केवल भागीदार न बनें, बल्कि नये भारत में साहसिक और उत्तरदायी नेतृत्व कर सकें।

प्रश्न: आपने इस कोर्स का नाम “आद्यशक्ति” क्यों रखा और इसे विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही क्यों बनाया गया है?

गीता श्रॉफ:
“आद्यशक्ति” नाम मूल ऊर्जा, अर्थात् दिव्य नारी शक्ति का प्रतीक है।
यह इस विश्वास को दर्शाता है कि महिलाएं ही ऊर्जा और शक्ति की मूल स्रोत रही हैं।
सदियों से महिलाओं ने घरों और समुदायों में मौन क्रांति चलाई है, अब समय आ गया है कि उस शक्ति को सार्वजनिक नेतृत्व में लाया जाए। यह कार्यक्रम महिलाओं को करुणा, बुद्धिमत्ता और शक्ति के साथ हर क्षेत्र, खासकर राजनीति में नेतृत्व देने के लिए बनाया गया है। यह कोर्स उन्हें यह याद दिलाने का मेरा तरीका है कि वे वास्तव में कौन हैं।

प्रश्न: आपने जिन विश्वविद्यालयों और संस्थानों से इस कोर्स के लिए संपर्क किया है, उनका क्या प्रतिक्रिया रही है?

गीता श्रॉफ:
प्रतिक्रिया बहुत उत्साहवर्धक रही है!  वर्तमान में “आद्यशक्ति” का पहला बैच दिल्ली के आईपी कॉलेज फॉर विमेन में 110 छात्राओं के साथ सफलतापूर्वक समापन की ओर है। गुजरात, कश्मीर और हरियाणा जैसे राज्यों में इसके तेजी से क्रियान्वयन की तैयारी है। कश्मीर विश्वविद्यालय, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (VNSGU), और औरो यूनिवर्सिटी (सूरत) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने गहरी रुचि दिखाई है। यह देखकर आशा जगती है कि पूरे भारत में यह समझ बढ़ रही है कि महिलाओं को नेतृत्व के लिए तैयार करना अत्यावश्यक है।

प्रश्न: “आद्यशक्ति” कोर्स से आप दीर्घकाल में किस प्रकार के प्रभाव की आशा करती हैं?

गीता श्रॉफ:
मेरा सपना है कि एक ऐसी पीढ़ी तैयार हो जो आत्मविश्वासी, जागरूक और नेतृत्वशील हो, जो अपने परिवार और समाज को ऊपर उठाए, सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाए, न्यायसंगत नीतियां बनाए और स्थायी प्रभाव छोड़े।
मैं चाहती हूं कि महिलाएं राजनीति में सिर्फ प्रवेश नहीं, बल्कि उसकी प्रकृति को ही बदल दें — उसमें ईमानदारी, करुणा और सेवा की भावना लाएं।
मुझे विश्वास है कि यह कोर्स आने वाली पीढ़ियों के भीतर परिवर्तन के बीज बोएगा।

प्रश्न: आज के समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर आपका क्या सपना है?

गीता श्रॉफ:
मेरा सपना है कि समाज में महिलाएं केवल सहभागी नहीं, बल्कि नेता, सृजनकर्ता और परिवर्तनकारी बनें।
मैं चाहती हूं कि हर लड़की और महिला को यह एहसास हो कि उसके सपने सही हैं, उसकी आवाज़ महत्वपूर्ण है, और वह अपना भविष्य खुद रचने में सक्षम है। मेरे लिए असली सशक्तिकरण का अर्थ है — ऐसा वातावरण बनाना, जहां महिलाएं निर्भय होकर ऊँचाइयों तक पहुंच सकें, और उन्हें शिक्षा, अवसर, सम्मान और समानता प्राप्त हो।

प्रश्न: क्या आपने अपने सामाजिक कार्यों में बच्चों के साथ भी काम किया है? यदि हां, तो उसके बारे में कुछ बताएं।

गीता श्रॉफ:
बिलकुल, बच्चों के साथ काम करना मेरे दिल के बेहद करीब है। “बेटी बचाओ, संतुलन बनाओ”, “बच्चों की दुनिया” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम हर बच्चे के लिए संतुलन और सुरक्षा का वातावरण बनाने की कोशिश करते हैं।
हम ऐसे सुरक्षित स्थान बनाते हैं जहां बच्चे केवल अकादमिक ज्ञान ही नहीं, जीवन कौशल, भावनात्मक शक्ति और सहानुभूति भी सीखते हैं। खेल-खेल में शिक्षा, कहानियों और मार्गदर्शन के ज़रिए हम बच्चों को एक दयालु, जिज्ञासु और साहसी इंसान बनाने की दिशा में काम करते हैं।
बच्चे ही भविष्य हैं, और उनमें निवेश करना, एक बेहतर कल में निवेश करना है।

प्रश्न: सामाजिक कार्यक्रमों, विशेष रूप से महिलाओं पर केंद्रित अभियानों को बढ़ावा देने में क्या चुनौतियां आईं?

गीता श्रॉफ:
सोच बदलना सबसे बड़ी चुनौती होती है। परिवारों को इस बात के लिए मनाना कि महिलाएं नेतृत्व में जाएं, सामाजिक पूर्वाग्रहों का सामना करना, और निरंतर वित्तीय सहयोग जुटाना — ये सभी कठिनाइयां आती हैं।
लेकिन धैर्य, सहानुभूति और सामुदायिक समर्थन से हम इन बाधाओं को पार कर सकते हैं। हर वो महिला जो कोई रुकावट तोड़ती है, वो हमारे प्रयासों को सार्थक बना देती है।

प्रश्न: समाज की भलाई के लिए कार्य करते रहने की प्रेरणा आपको कहां से मिलती है?

गीता श्रॉफ:
ये छोटे-छोटे जीत के पल हैं — वो बचाई गई लड़की जो अब शिक्षक बनती है, वो विधवा जो खुद का व्यवसाय शुरू करती है, वो बच्चा जो बिना डर के सपने देखता है। ये लम्हें मुझे सबसे अंधेरे दिनों में ऊर्जा देते हैं।एक मुस्कान, किसी के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन — यही मेरी सबसे बड़ी कमाई है।
वास्तविक परिवर्तन समय लेता है, लेकिन यह एक खूबसूरत यात्रा है।

प्रश्न: क्या कोई ऐसा अनुभव है जो आपके दिल में गहराई से छाप छोड़ गया हो?

गीता श्रॉफ:
हां, एक अनुभव हमेशा मेरी आत्मा के साथ जुड़ा हुआ है। अपने करियर के शुरुआती दिनों में, मैंने एक युवती की काउंसलिंग की जो आत्महत्या के विचारों से जूझ रही थी। कई सत्रों के बाद उसने अपना जीवन संभाला, शादी की।
लेकिन एक निजी यात्रा के दौरान जब मैं ऑस्ट्रेलिया में थी और कुछ समय के लिए संपर्क से बाहर, वह फिर से टूट गई।
उसने मुझे कॉल करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।  दुखद रूप से उसने फिर से आत्महत्या का प्रयास किया और अपनी जान गंवा दी। जब मैं लौटी, तो उसके पिता ने रोते हुए कहा — “वो बार-बार गीता मैम को बुला रही थी… शायद एक बार आपसे बात हो जाती तो वो बच जाती।” उस दिन से मैंने अपने आपसे एक वादा किया — मैं हर महिला को कई नंबर देती हूं, और मेरा फोन कभी बंद नहीं होता। चाहे कॉल रात के 2 बजे आए, मैं जवाब देती हूं। कभी-कभी सिर्फ उपस्थित होना ही जीवन बचा सकता है। उसकी याद मेरे लिए एक मौन प्रार्थना बन गई है, जो हर निर्णय में मेरा मार्गदर्शन करती है।

प्रश्न: उन युवतियों और समाजसेवकों को क्या संदेश देना चाहेंगी जो आपके मार्ग पर चलना चाहते हैं?

गीता श्रॉफ:
हर युवती से कहना चाहूंगी: अपनी शक्ति पर कभी संदेह मत करो। उन क्षेत्रों में कदम रखो जहां तुम्हारी आवाज़ की जरूरत है, खासकर जहां नेतृत्व पुरुष प्रधान है। निर्भीक बनो, करुणामयी बनो, वह नेता बनो जो तुम खुद के लिए चाहती थीं। हर नवोदित समाजसेवक के लिए: सच्ची सेवा मौन होती है, सच्ची होती है और आत्मा से जुड़ी होती है।
यह आपके धैर्य और साहस की परीक्षा लेगी, लेकिन जब आप किसी का जीवन बदलते देखते हैं — वह इनाम अनमोल होता है। छोटे कदम से शुरू करो, नियमित बने रहो और विश्वास रखो कि तुम्हारा हर कदम मायने रखता है।इस दुनिया में जहां प्रामाणिकता और शक्ति की खोज हो रही है, वहां श्रीमती गीताबेन श्रॉफ आशा की एक किरण बनकर खड़ी हैं।

“आद्यशक्ति” जैसे अभियानों के माध्यम से वह केवल महिलाओं को सशक्त नहीं कर रहीं, बल्कि भारत के भविष्य को पुनः आकार दे रही हैं — एक साहसी महिला के माध्यम से एक समय में।
वह नारी की आंतरिक शक्ति को प्रज्वलित कर, सशक्तिकरण की एक मौन क्रांति का निर्माण कर रही हैं।

उनकी यात्रा यह याद दिलाती है कि असली नेतृत्व महत्वाकांक्षा से नहीं, बल्कि सेवा से शुरू होता है।

 

 

Share this news

About desk

Check Also

हज यात्रा के लिए आज से यात्रियों का सऊदी जाने का सिलसिला शुरू

नई दिल्ली। हज यात्रा-2025 की आज से शुरुआत हो गई। मंगलवार सुबह लखनऊ और हैदराबाद …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *