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वर्ल्ड ओडिशा सोसायटी ने किया हृषिकेश काव्य संध्या का आयोजन
नई दिल्ली, वर्ल्ड ओडिशा सोसाइटी ने दिल्ली में जाने माने ओड़िया कवि हृषिकेश मल्लिक के सम्मान में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक भव्य काव्य संध्या की मेजबानी की। राज्य और केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता मल्लिक अपनी शानदार और रचनात्मक कविताओं के लिए वैश्विक ओड़िया समाज के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं।
ओडिया भाषा में हृषिकेश मल्लिक की लगभग चालीस से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। इतना ही नहीं, उनकी चुनिंदा कविताओं का अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली और कन्नड़ भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
काव्य संध्या के इस कार्यक्रम में ओडिशा और विश्व के विभिन्न देशों से वर्ल्ड ओडिशा सोसायटी से संबद्ध रखनेवाले अनेक जाने माने लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर दुनिया भर में सैकड़ों ओड़िया कविता प्रेमी डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से भी जुड़े थे।
वर्ल्ड ओडिशा सोसाइटी की स्थापना २०२१ में मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर २० देशों के साथ सदस्यों के द्वारा की गई थी। ग्लोबल ओड़िया समाज के इस शीर्ष संगठन का प्रमुख उद्देश्य ओडिशा के बाहर एक मंच के नीचे लगभग डेढ़ करोड़ ओडिया लोगों को एकजुट करके ओडिशा के सर्वसमावेशी विकास के लिए काम करना है। केवल चार साल के कम समय में ही वर्ल्ड ओडिशा सोसायटी ने दुनिया के ७२ देशों में अपने सदस्यों के रूप में अपनी उपस्थिति को काफी हद तक बढ़ा दिया है।
वर्ल्ड ओडिशा सोसाइटी के अध्यक्ष किशोर द्विबेदी ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि दुनिया भर में साहित्यकारों के बीच डब्ल्यूओएस के आधार का विस्तार करने के लिए हर किसी के सहयोग की जरूरत है। काव्य संध्या के मुख्य अतिथि दिग्गज कवि अशोक वाजपेई ने कहा कि ह्रुशिकेश मल्लिक एक ऐसे तत्ववादी और यथार्थवादी कवि हैं, जिसमें सतर्कता और चौकसी की विस्तृत श्रृंखला है। उनकी कविता दुर्लभ कथा को प्रदर्शित करती है, जो अपने आसपास और प्रिय लोगों के साथ-साथ पौराणिक पात्रों को भी वर्तमान संदर्भों से जोड़कर रखती है। उन्होंने कहा कि वास्तव में अद्भुत कलात्मक एवं समावेशी दृष्टि के साथ मल्लिक एक यथार्थवादी कवि हैं।
काव्य संध्या में उपस्थित अतिथियों में सुमन्यु सत्पथी , देवेंद्र चौबे, उदयनाथ साहू, अमरेंद्र खटुआ और मंदिरा घोष ने उत्कृष्ट और अनन्य साहित्यिक कौशल और उपलब्धियों के लिए हृषिकेश मल्लिक के काव्य कर्म पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रतिष्ठित कवियों यशोधरा मिश्रा, लीलाधर मंडलोई, शिवम सिंह, प्राण जी बसाक, पीजूष बिस्वास और सुजता चौधरी ने ओडिया, अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली भाषाओं में मल्लिक की कविताओं का पाठ किया।
इस अवसर पर हृषिकेश मल्लिक ने कहा कि आज के कवि सर्कस कलाकार की तरह हैं, जो एक चलती गेंद पर खड़े अपनी कला का प्रदर्शन करने की हिम्मत करते हैं। उन्होंने कहा कि समकालीन कवि के सामने एक अस्थिर जमीन पर अपनी कविता के माध्यम से विशेषज्ञता और उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने की चुनौती होती है। उन्होंने कहा कि उनके आसपास के साधारण लोग ही उनके काव्य गुरु हैं, जो एक कटोरी चावल और अपने मनोरंजन के लिए दिन रात मेहनत करके व्यस्था से लड़ रहे हैं।
प्रतिमा शर्मा ने एक बेहद सधे और सुरुचिपूर्ण अंदाज में काव्य संध्या का संचालन किया। नंदन द्विबेदी और अंकित मौर्य ने डिजिटल कंट्रोल रूम को संभाला। चार्टर्ड अकाउंटेंट सुधीर दाश और मंडली द्वारा मधुर संगीत प्रस्तुतियाँ काव्य संध्या का विशेष आकर्षण रही।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में नोएडा जगन्नाथ मंदिर के सचिव मनोरंजन मोहंती, अधिवक्ता बिरजा मोहापात्र, सुरेंद्र कुमार पत्री, सस्मिता त्रिपाठी, ओडिशा उचित मूल्य विक्रेता संगठन के अध्यक्ष नगेन्द्रनाथ जेना, गजेंद्र साहू, चक्रपाणि परिडा, अर्चना परिडा, सुरंजिता राणा दाश, अल्पना पटनायक,डॉ प्रकाश कुमार, सहस्रांशु मोहापात्र,सौम्यरंजन साहू एवं देबस्मिता मोहंती शामिल रहे।
डब्ल्यूओएस के महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष रीता पात्रा, महासचिव पुष्पांजलि बारिक, कावेरी बेहेरा ,नई दिल्ली और एनसीआर के अध्यक्ष व महासचिव बिमल भाल और ज्ञान प्रकाश जेना ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।