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शताब्दी वर्ष में संघ का संपर्क महाभियान, एक लाख स्थानों पर स्थापना दिवस आयोजन, संघ प्रमुख के चार महानगरों में संवाद

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष पर देश भर में एक व्यापक संपर्क अभियान चलाएगा। इसके तहत करोड़ों लोगों तक संघ का विचार,दर्शन,कार्य और गतिविधियों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाई जाएगी। साथ ही उनसे संघ की गतिविधियों और सामाजिक कार्यों में जुड़ने का आग्रह किया जाएगा। इसी क्रम विभिन्न स्तरों पर सम्मेलन होंगे जिनका उद्देश्य राष्ट्र की एकजुटता,सौहार्द और आपसी विश्वास के साथ देश को मजबूत करना है। इसी क्रम में रा.स्व.संघ के प्रमुख (सरसंघचालक) देश के चार बड़े शहरों में प्रबुद्ध वर्ग से खुला संवाद करेंगे। इस तरह का एक संवाद कार्यक्रम 2016 में देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय (21 से 23 मार्च) प्रतिनिधि सभा की बैठक के अंतिम दिन आज संघ के सरकार्यवाह (महासचिव) दत्तात्रेय होसबाले ने बेंगलुरु में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बैठक में हुई चर्चा और निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संघ ने अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष पर एक संकल्प पत्र पारित किया है। इसके साथ ही बांग्लादेश की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया गया है। रानी अब्बका के संबंध में भी एक प्रस्ताव पारित कर उस बारे में कार्यक्रम तय किए गए हैं।

संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि हमने अपने कार्य के 50 या 75 वर्ष पूरे होने पर कभी स्वर्ण जयंती या हीरक जयंती नहीं मनाई। हमारा स्पष्ट मानना है कि हम समाज के भीतर समाज का संगठन करने वाले लोग हैं। हम समाज से अलग कोई संगठन नहीं है बल्कि समाज का ही एक घटक हैं। समाज के भीतर हमारे द्वारा किए जा रहे कार्य के 100 वर्ष पूर्ण होने पर हमारे लिए यह एक अवसर है कि हम अब तक किए गए कार्यों का अवलोकन करें और भविष्य में और क्या करना है, उसकी योजना बना सकें। इसीलिए हमने अपने शताब्दी वर्ष पर कार्यकर्ताओं के लिए एक संकल्प पत्र तैयार किया है। इसके अनुसार अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प करती है।

जन जन तक पहुंचने का महाअभियान
दत्तात्रेय होसबाले ने बताया कि इस विजयदशमी (2 अक्तूबर) को संघ कार्य के 100 वर्ष पूर्ण होने पर नागपुर में सरसंघचालक जी के सम्मुख होने वाले प्रमुख कार्यक्रम के अतिरिक्त देश भर में 1 लाख स्थानों पर विजयादशमी समारोह आयोजित किए जाएंगे, जिसमें स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में भाग लेंगे। इसके बाद आगामी नवंबर,दिसंबर और जनवरी माह में संघ कार्यकर्ता संघ साहित्य के साथ ग्राम स्तर के लोगों तक पहुंचेंगे और संघ के विचार साझा करेंगे। हर प्रांत अपनी सुविधा अनुसार इसके लिए तीन सप्ताह तय करेगा।
इसके साथ ही मंडल और बस्ती स्तर पर समाज सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य विश्वास, सौहार्द और एकजुट समाज है। इसमें ‘पंच परिवर्तन’ जैसे विषय रखे जाएंगे और लोगों से इन्हें अपनाने का आग्रह किया जाएगा। संघ के कार्यकर्ता सद्भावना बैठकें भी आयोजित करेंगे। इसके अलावा कुछ जिला स्तर पर संगोष्टियां होंगी। इनका उद्देश्य समाज में चल रहे कथानक को ठीक करना और समाज तथा राष्ट्र उपयोगी विषयों को उठाना है। इसी क्रम में देश के चार बड़े शहरों दिल्ली,मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। नई पीढ़ी तक राष्ट्रीय विमर्श को पहुंचाने के उद्देश्य से देश भर में 15 वर्ष से 30 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं से संवाद पर सर्वाधिक जोर रहेगा।

आदर्श दारा शिकोह हो सकते हैं, औरंगजेब नहीं
पत्रकार वार्ता में ओरंगजेब की कब्र से संबंधित सवाल के जवाब में संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि हमें देश की सोच से जुड़े लोगों को अपना आदर्श बनाना चाहिए। किसी के आक्रांता होने, देशी-विदेशी या फिर किसी मजहब से जुड़े होने से अधिक महत्व का विषय है उस व्यक्ति विशेष के कृत्य कैसे थे। दारा शिकोह और सिस्टर निवेदिता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता से जुड़े लोगों के लिए ये हमारे लिए स्वीकार्य और आदर्श हो सकते हैं।

राजनीति से जुड़े मुद्दे
जातिगत जनगणना,धर्माधारित आरक्षण, वक्फ बोर्ड आदि से जुड़े प्रश्नों पर उन्होंने कहा कि यह इस संबंध में संविधान में बहुत स्पष्ट परिभाषा और व्यवस्था है और केन्द्र सरकार उस अनुरूप कार्य भी कर रही है। लोकसभा-विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के मुद्दे पर उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि संघ राजनीतिक गतिविधियों से कहीं अलग राष्ट्र की एकजुटता के बारे में ही विचार करता है।

राममंदिर राष्ट्र जागरण का परिणाम
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने राम मंदिर निर्माण को संघ की उपलब्धि का पैमाना मानने से इंकार करते हुए कहा कि यह सम्पूर्ण भारतीय समाज की उपलब्धि है। आज देश में एक व्यापक परिवर्तन देखने के मिल रहा है। इस देश की राष्ट्रीय और सांस्कृति पहचान के तौर पर हिन्दू होने पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यही हमारे लिए एक आश्विस्त का विषय है। उन्होंने कहा कि समाज के भीतर से जातिभेद की भावना मिटाना हमारी हमेशा से प्राथमिकता रही है लेकिन हम इसके लिए नारा नहीं लगाते हैं। संघ की शाखा में आने मात्र से ही स्वयंसेवकों के मन के भीतर जातिभेद की बात नहीं आती।

संघ-भाजपा और सरकार
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संघ-भाजपा और सरकार से संबंधित सवालों पर बहुत साफतौर पर कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा से लेकर वैश्विक स्तर पर भारतीयों की पहचान को लेकर लोगों में एक सकारात्मक भाव पैदा हुआ है। देश में हो रहे चुनावों के परिणाम बताते हैं कि लोगों का भाजपा के प्रति भरोसा बना हुआ है। जहां तक संघ की बात है वह राष्ट्र हित में क्या है, ऐसी लोगों की भावना ही अपने व्यवस्थित संवाद तंत्र के माध्यम से सरके नियमित कार्य की समीक्षा करते हैं या उन्हें निर्देशित करते हैं। वे अपने सभी प्रकार के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। भाजपा अध्यक्ष के निर्वाचन के संबंध में भी पार्टी के लोग ही तय करेंगे, इसमें संघ की कोई भूमिका नहीं है।

प्रतिनिधि सभा में पारित संकल्प
बेंगलुरू में संघ के शताब्दी वर्ष के निमित्त पारित संकल्प पत्र में कहा गया है-
“संघ का यह मानना है कि धर्म के अधिष्ठान पर आत्मविश्वास से परिपूर्ण संगठित सामूहिक जीवन के आधार पर ही हिंदू समाज अपने वैश्विक दायित्व का निर्वाह प्रभावी रूप से कर सकेगा। अतः हमारा कर्त्तव्य है कि सभी प्रकार के भेंदों को नकारने वाला समरसता युक्त आचरण,पर्यावरणपूरक जीवनशैली पर आधारित मूल्याधिष्ठित परिवार,’स्व’बोध से ओतप्रोत और नागरिक कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध समाज का चित्र खड़ा करने के लिए हम सब संकल्प करते हैं। हम इसके आधार पर समाज के सब प्रश्नों का समाधान,चुनौतियों का उत्तर देते हुए भौतिक समृद्धि एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण समर्थ राष्ट्रजीवन खड़ा कर सकेंगे। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प करती है।”

महारानी अब्बक्का की 500वीं जयंती पर जारी वक्तव्य
“महारानी अब्बक्का का जीवन पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणादायक है। उनकी 500वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस अनुकरणीय व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देता है और पूरे समाज को अपने शानदार जीवन से प्रेरणा लेने और राष्ट्र-निर्माण के चल रहे मिशन में सक्रिय रूप से योगदान करने का आह्वान करता है।”
साभार – हिस

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