काकीनाडा। श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठम के काकीनाडा आश्रम द्वारा काकीनाडा बोट क्लब में कवि शेखर डॉ. उमर अली शाह की प्रतिमा के निकट शुक्रवार कोआयोजित 140वीं जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित श्री अहमद अलीशा ने कहा कि उमर अली शाह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री अहमद अली शाह ने कहा कि सामान्यतः यदि कोई व्यक्ति पर्याप्त परिश्रम करे, तो वह अपने चुने हुए क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। किसी एक व्यक्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रों में निर्विरोध अपना प्रभाव डालना तथा विश्व पर अमिट छाप छोड़ना संभव नहीं है। उन लोगों को हम बहुमुखी प्रतिभावान कहते हैं। उनकी प्रशंसा करते हैं, और यहां तक कि उन्हें रोल मॉडल के रूप में अपनाते हैं! वे महान कवि, शतायु, दार्शनिक, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक नेता और सबसे बढ़कर, श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठ के छठे प्रमुख रहे हैं, जिसका इतिहास गौरवशाली और सुप्रसिद्ध है। उनकी मातृभाषा तेलुगु नहीं है। लेकिन उन्होंने तेलुगु में एक अद्भुत साहित्यिक थाती देकर एक कालजयी कवि के रूप में ख्याति प्राप्त की।
उमर अली शाह पब्लिक स्कूल के संवाददाता श्री हुसैन शाह ने बतौर विशिष्ट अतिथि अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि
एक आध्यात्मिक संस्था के प्रमुख होने के बावजूद, उमर अली शाह एक समाज सुधारक थे। जो सिर्फ आध्यात्मिक सिद्धांतों पर ही नहीं टिके, बल्कि उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी अपनी कलम को कोड़े की तरह चलाया। उन्होंने कहा कि उमर अली शाह एक महान वक्ता थे, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी के रूप में राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और विभिन्न मंचों पर अपने ओजस्वी भाषणों से सभी भारतीयों को एकता के साथ भारत माता की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की भावना से जागृत और संवेदनशील बनाया।
पीठम के संयोजक श्री पेरूरी सुरीबाबू ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि उमर अली शाह सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक नेताओं में से एक थे, जिन्होंने भारतीय विधान सभा में जनता के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जनता की ओर से लड़ाई लड़ी तथा ब्रिटिश सरकार की खामियों को उजागर किया।
सेवानिवृत्त आरटीओ श्री रामचंद्र राव ने कहा कि डॉ. उमर अली शाह ने आम जनता के लिए बहुत कुछ किया है। उनकी सेवाएं त्रुटिहीन हैं। उनकी कीर्ति अमर है। उनकी छवि भारत के लिए प्रेरणादायी है। वे एक प्रगतिशील लेखक, प्रगति के मार्गदर्शक, महान वक्ता, मानवतावादी, दर्शनशास्त्र के पैगम्बर, पीठ के पीठाधिपति तथा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।
प्रसिद्ध पैरोडी गायक श्री बाला राम कृष्ण द्वारा गाए गए गीत ने श्रोताओं का मनोरंजन किया। अहमद अली शाह ने अतिथियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर केक काटकर बच्चों में बांटा गया।
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उमर अलीशा उन धन्य कवियों और लेखकों में एक विशेष स्थान रखते हैं जिन्होंने अज्ञानता, अंधविश्वास, धार्मिक अज्ञानता, गरीबी, गुलामी और अशिक्षा जैसी सामाजिक बुराइयों से ग्रस्त समाज को सुधारने के लिए असाधारण और सरल प्रयास किए हैं। ऐसे अनोखे व्यक्ति उमर अलीशा का जीवन सभी के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है। उनकी रचनाओं को 7वीं और 10वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों में पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य यह है कि उनकी रचनाएं सभी में देशभक्ति, धार्मिक विचार और दार्शनिक ज्ञान पैदा करेंगी। ऐसे प्रतिभाशाली और बहुमुखी व्यक्तित्व वाले उमर अलीशा का जन्म 28 फरवरी 1885 को हुआ था। इस अवसर पर सैकड़ों सदस्यों ने उनकी 140वीं जयंती समारोह में भाग लिया। विशिष्ट सेवाएं प्रदान करने वालों को अनाज के पैकेट भेंट किए गए। यह समारोह आरती के साथ समाप्त हुई। इस कार्यक्रम में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य श्री खंडवल्ली वीरभद्रम , स्थानीय संयोजक श्रीमती मंदा येल्लमम्बा, श्रीमती काकीनाडा लक्ष्मी, श्रीमती रेड्डी सूर्या प्रभावती, श्रीमती वानुमु मणि, श्रीमती बादम लक्ष्मी कुमारी, श्री रहमान और अन्य ने भाग लिया।