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नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री मैसिमिनो ने की पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय के छात्रों से बातचीत

नई दिल्ली। नासा के के पूर्व अंतरिक्ष यात्री माइक मैसिमिनो ने गुरुवार को दिल्ली कैंट स्थित पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत की। इस दौरान मैसिमिनो ने विद्यालय की सुविधाओं का भी जायजा लिया, जिसमें एआर-वीआर लैब, अटल टिंकरिंग लैब, भाषा प्रयोगशाला आदि शामिल हैं। छात्रों से बातचीत के दौरान मैसिमिनो ने भारत के चंद्रयान-3 मिशन की प्रशंसा की। उन्‍होंने न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय के लिए इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कैसे यह उपलब्धि वहां बसने के लिए आवश्यक जल स्रोतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
मैसिमिनो ने बताया कि कैसे 7 अंतरिक्ष यात्रियों पर आधारित एक फिल्म ने उन्हें अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए प्रेरित किया। छात्रों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण, अंतरिक्ष यात्राओं में भोजन आदि के बारे में उनके सवालों के जवाब दिए। अपने व्यक्तिगत अनुभवों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अंतरिक्ष में जीरो ग्रेविटी के साथ तालमेल बिठाया और उनके सोने की व्यवस्था, काम करने के लिए कंसोल आदि के बारे में विस्तार से बताया। छात्र अंतरिक्ष अन्वेषण में एआई की भूमिका के बारे में उन्होंने बताया कि एआई प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे वे अधिक कुशल, किफायती और सुरक्षित बनेंगे।
उन्होंने छात्रों को उन विषयों और कौशलों के बारे में सलाह दी जिन्हें उन्हें अंतरिक्ष अन्वेषण में करियर बनाने के लिए अपनाना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने अंतरिक्ष यात्री के रूप में करियर बनाने की चुनौतियों और उनकी तैयारी के लिए आवश्यक प्रमुख विषयों के बारे में कई सवाल पूछे। मैसिमिनो ने मृदा विज्ञान और समुद्री जीव विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों की खोज के महत्व पर जोर दिया। उनके व्यावहारिक और अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण उत्तरों ने छात्रों को उत्साहित करते हुए गहराई से प्रेरित किया। उन्होंने उनसे नासा में उनके द्वारा किए गए काम जुड़े सबसे चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट के बारे में भी पूछा और क्या निकट भविष्य में मंगल ग्रह पर मानव का बसना संभव होगा। उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर रहना जल्द ही एक वास्तविकता बन सकता है, लेकिन मंगल ग्रह पर बसने में अभी भी तकनीकी चुनौतियों के कारण अधिक समय लगेगा, जिन्हें अभी भी दूर करने की आवश्यकता है।
मैसिमिनो कोलंबिया विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं तथा इंट्रेपिड सी, एयर एंड स्पेस म्यूजियम में अंतरिक्ष कार्यक्रमों के वरिष्ठ सलाहकार हैं। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से बीएस की डिग्री तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी एवं नीति में एमएस की डिग्री प्राप्त की है। उन्‍होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री भी प्राप्त की है। आईबीएम, नासा और मैकडॉनेल डगलस एयरोस्पेस में इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद, राइस यूनिवर्सिटी और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अकादमिक नियुक्तियों के साथ, उन्हें 1996 में नासा द्वारा एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था। वे दो अंतरिक्ष उड़ानों- 2002 और 2009 में चौथा और पांचवां हबल स्पेस टेलीस्कोप सर्विसिंग मिशन के अनुभवी हैं। माइक के पास एक ही स्पेस शटल मिशन में स्पेसवॉक करने के घंटों की संख्या के लिए एक टीम रिकॉर्ड है। वे अंतरिक्ष से ट्वीट करने वाले पहले व्यक्ति भी हैं। कार्यक्रम में संयुक्त आयुक्त (कार्मिक) सोमित श्रीवास्तव, केवीएस मुख्यालय के उपायुक्त (शैक्षणिक) बीके बेहरा, केवीएस दिल्ली क्षेत्र के उपायुक्त एसएस चौहान, दिल्ली क्षेत्र के सहायक आयुक्त जीएस पांडे और केसी मीणा, केवी नंबर 2, दिल्ली छावनी के प्रधानाचार्य वीके मठपाल और अन्य उपस्थित थे।
साभार – हिस

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