नई दिल्ली। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर वाम दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य (दोनों जगह) में डबल इंजन वाली सरकार फेल हो गई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने से पता चलता है कि भाजपा का तथाकथित “डबल इंजन” वाला दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से फेल हो गया है। वह स्थिति के घोर कुप्रबंधन के बावजूद सत्ता में बने रहने के लिए हर तरह के उपायों का सहारा ले रही है। इस निर्णय में भाजपा की संसदीय लोकतंत्र के प्रति उपेक्षा साफ दिखाई देती है, जिसकी घोषणा संसद के स्थगित होने के दिन ही कर दी गई। यह स्पष्ट रूप से संसदीय जांच से बचने के लिए है, जो हमारे लोकतंत्र के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में संकट के बावजूद प्रधानमंत्री एक बार भी राज्य का दौरा करने में विफल रहे। जब यह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय की घोषणा की गई, तब वे देश से बाहर थे। राष्ट्रीय सुरक्षा पर भाजपा के खोखले दावों की कलई मणिपुर में खुल गई है। लगभग दो वर्षों तक सरकार की अनिर्णायकता से सैकड़ों लोगों की जान चली गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए। डबल इंजन की सरकार को इसका जवाब देना होगा।
डी राजा ने कहा कि अब समय आ गया है कि भाजपा इस मुद्दे पर खुलकर सामने आए और राज्य में वास्तविक शांति और सुलह को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करे। हम मांग करते हैं कि भाजपा सरकार राज्य में राजनीतिक दलों और ताकतों को विश्वास में ले और अलोकतांत्रिक तरीकों से सत्ता में बने रहने की बजाय संकट के मूल कारण को दूर करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि सीपीआई मांग करती है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का इस्तेमाल राज्य के दर्जे को कम करने, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने या लोकतांत्रिक मानदंडों पर अंकुश लगाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। विधानसभा को निलंबित अवस्था में रखना कोई राजनीतिक तर्क और समझदारी नहीं है, लोगों से नया जनादेश मांगना बेहतर है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता बृंदा करात ने कहा कि यह केंद्र और राज्य दोनों जगह डबल इंजन वाली सरकार के पूर्ण विफलता को दर्शाता है। यह मणिपुर के हित में नहीं है। यह गठबंधन को टूटने से बचाने के लिए पूरी तरह से राजनीतिक चाल है। हम सभी जानते हैं कि मुख्यमंत्री, जो मणिपुर में हिंसक उथल-पुथल और संकट के लिए जिम्मेदार थे, को भाजपा का पूरा समर्थन प्राप्त था। उन्होंने केवल इसलिए इस्तीफा दिया, क्योंकि अदालती मामले में उनकी पक्षपातपूर्ण भूमिका उजागर हो रही थी। उन्होंने मांग की कि मणिपुर के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए, जिसमें एक निश्चित समय सीमा में नए चुनाव आयोजित करना भी शामिल है।
साभार – हिस