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कैंसर और अन्य जानलेवा बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली अन्य 36 जीवन रक्षक दवाओं को बुनियादी सीमा-शुल्क से बाहर किया जाएगा
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ई-मोबिलिटी को बढ़ावा: विद्युत चालित वाहनों की बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं को बुनियादी सीमा-शुल्क से छूट
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व्यापार को सुगम बनाने और आम जनता को राहत देने के लिए घरेलू विनिर्माणकर्ताओं को सहायता तथा निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अतिरिक्त उपाय
यह बजट, जुलाई 2024 में सीमा शुल्क दरों की संरचना की समीक्षा करने के वादे पर मुख्य रूप से केन्द्रित है। नई व्यवस्था के तहत औद्योगिक वस्तुओं के लिए सात सीमा शुल्क दरों को हटाने का प्रस्ताव है। इससे पहले भी बजट 2023-24 में सात कर दरों को हटाया गया था, अब केवल आठ टैरिफ रेट ही रह जाएंगे, जिसमें ‘शून्य’ शुल्क भी शामिल है। बजट में एक से अधिक उपकर अथवा अधिभार नहीं लगाने का प्रस्ताव किया गया है। इस व्यवस्था से उपकर के अधीन 82 टैरिफ लाइनों पर समाज कल्याण अधिभार से छूट देने का प्रस्ताव भी सुनिश्चित हुआ है।
औषधियों/दवाओं के आयात पर राहत
बजट में कैंसर के मरीजों और असाधारण बीमारियों तथा अन्य गंभीर जीर्ण रोगों से पीड़ित लोगों को राहत देने का भरकस प्रयास किया गया है। इसके तहत 36 जीवनरक्षक औषधियों एवं दवाओं को बुनियादी सीमा-शुल्क (बीसीडी) से पूरी तरह छूट-प्राप्त दवाओं की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा 6 जीवनरक्षक दवाओं को 5 प्रतिशत के रियायती सीमा-शुल्क वाली दवाओं की सूची में शामिल किया जाना भी प्रस्तावित है। अब पूर्ण छूट और रियायती शुल्क उपर्युक्त निर्माताओं के लिए थोक औषधियों पर भी इसी प्रकार से लागू होंगे।
दवा बनाने वाली कंपनियों द्वारा चलाए जाने वाले रोगी सहायता कार्यक्रमों के अंतर्गत विशिष्ट औषधियां और दवाएं बुनियादी सीमा-शुल्क से पूरी तरह छूट-प्राप्त हैं, जिसके लिए दवाओं की आपूर्ति रोगियों को निःशुल्क किया जाना इसकी प्रमुख शर्त है। अब बजट में 13 नए रोगी सहायता कार्यक्रमों के साथ-साथ 37 अन्य दवाओं को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है।
घरेलू विनिर्माण और मूल्य वर्धन को सहायता
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों के बैटरी के विनिर्माण के लिए 35 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं और मोबाइल फोन बैटरी विनिर्माण हेतु 28 अतिरिक्त पूंजीगत वस्तुओं को छूट-प्राप्त पूंजीगत वस्तुओं की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है। इससे मोबाइल फोन और विद्युत चालित वाहनों के लिए लिथियम आयन बैटरी के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि कोबाल्ट पाउडर व इसके अपशिष्ट और लिथियम-आयन बैटरी, पारा, जिंक तथा 12 अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के अवशिष्ट पर पूरी तरह से छूट का प्रस्ताव किया गया है। इससे भारत में विनिर्माण के उद्देश्य से इन महत्वपूर्ण घटकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा हमारे देश के युवाओं के लिए और अधिक संख्या में रोजगार को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। इससे पहले जुलाई, 2024 के बजट में भी 25 ऐसे महत्वपूर्ण खनिजों पर बीसीडी से पूरी तरह छूट प्रदान की गई थी।
श्रीमती सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर तकनीकी वस्त्र उत्पादों जैसे कि कृषि-वस्त्रों, चिकित्सा क्षेत्र के वस्त्रों और भू-वस्त्रों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरी तरह छूट प्राप्त टेक्सटाइल मशीनरी की सूची में दो अन्य प्रकार के शटल-रहित करघों को शामिल करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि नौ टैरिफ लाइनों द्वारा कवर किए गए बुने वस्त्रों पर “10 प्रतिशत अथवा 20 प्रतिशत”के बीसीडी दर को संशोधित कर “20 प्रतिशत अथवा 115 रुपए प्रति किलोग्राम, जो भी अधिक होगा” उसे करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ नीति के अनुरूप, इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (आईएफपीडी) पर बीसीडी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने और ओपन सेल तथा अन्य घटकों पर बीसीडी को कम करके 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पहल शुल्क समायोजन संरचना को ठीक करने में सहायक होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि पोत-निर्माण में मुख्य गतिविधि शुरू करने से पहले की अवधि लम्बी होती है। ऐसी स्थिति में जलपोतों के विनिर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल, घटकों, उपभोज्यों अथवा पुर्जों पर अगले दस वर्षों तक बीसीडी से छूट जारी रखने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। बजट में पुराने पोतों को तोड़ने (शिप-ब्रेकिंग) को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भी छूट देने का प्रस्ताव किया गया है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वर्गीकरण के विवादों को रोकने के लिए कैरियर ग्रेड इथरनेट स्विच पर बीसीडी को नॉन-कैरियर ग्रेड इथरनेट स्विच के समकक्ष लाने के लक्ष्य के साथ 20 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।
निर्यात संवर्धन
देश में निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ कर-प्रस्तावों को भी रखा जा रहा है। हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात की समयावधि को छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर आगे भी और अगले तीन महीनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। बजट में शुल्क-मुक्त इनपुट की सूची में नौ और मदों को शामिल करने का प्रस्ताव भी स्वीकृत है।
वित्त मंत्री ने कहा कि घरेलू मूल्यवर्धन और रोजगार के लिए आयात को सुविधाजनक बनाने हेतु वेट ब्लू लेदर पर बीसीडी से पूर्ण छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा छोटे चर्मशोधकों द्वारा निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए क्रस्ट लेदर को 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क से छूट देना भी शामिल है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वैश्विक समुद्री खाद्य बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए विनिर्माण हेतु फ्रोजन फिश पेस्ट (सुरीमी) और इसके जैसे उत्पादों के निर्यात पर बीसीडी को 30% से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। मछलियों और झींगे के आहार बनाने के लिए फिश हाइड्रोलीसेट पर बीसीडी को 15 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना भी प्रस्तावित है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई, 2024 बजट में वायुयानों और जलपोतों के लिए घरेलू एमआरओ के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मरम्मत हेतु आयातित विदेशी मूल की वस्तुओं के निर्यात की समय-सीमा 6 महीने से बढ़ाकर एक वर्ष की गई थी। अब इसे एक वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है। बजट 2025-26 में रेल वस्तुओं के लिए भी इसी तरह छूट का प्रस्ताव सुनिश्चित किया गया है।
कारोबार में आसानी और व्यापार करने में सुगमता
वर्तमान में, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 में अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए किसी भी समय-सीमा का प्रावधान नहीं है, जिसकी वजह से कारोबार व व्यापार में अनिश्चितता बनी रहती है और लागत बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में व्यवसाय करने की सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रोविजनल कर-निर्धारण को अंतिम रूप देने के लिए दो वर्षों की समय-सीमा तय करने का प्रस्ताव किया जा रहा है, जिसे आवश्यकतानुसार एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट में एक नया प्रावधान शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे आयातक या निर्यातक माल की स्वीकृति के बाद स्वेच्छा से महत्वपूर्ण तथ्यों की घोषणा कर सकें और जुर्माने के बिना ब्याज सहित शुल्क का भुगतान कर सकें। इस पहल से स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहन मिलेगा। यह अलग बात है कि नया प्रावधान उन मामलों में लागू नहीं होगा, जिनमें विभाग पहले ही लेखापरीक्षा या अन्वेषण कार्रवाई शुरू कर चुके हैं।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि उद्योग को अपनी आयात गतिविधियों के लिए बेहतर योजना बनाने के उद्देश्य से संगत नियमों में आयातित इनपुट के अंतिम उपयोग की समय-सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक साल किए जाने का प्रस्ताव है। इससे लागत और आपूर्ति की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए कार्य संचालन संबंधी सुविधा देखने को मिलेगी और आगे भी सुगमता होगी। इसके अलावा, महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ऐसे आयातकों को मासिक विवरण की बजाय अब केवल तिमाही विवरण दाखिल करना होगा।