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हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की लगातार बढ़ती पैठ का मुकाबला करने को नौसेना तैयार
नई दिल्ली। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की लगातार बढ़ती पैठ का मुकाबला करने को भारत अपनी समुद्री लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए नौसेना के बेड़े में अगले महीने दो स्वदेशी युद्धपोत और एक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को शामिल करने के लिए तैयार है। नए युद्धपोतों में सबसे बड़ा निर्देशित मिसाइल विध्वंसक सूरत और स्टील्थ फ्रिगेट नीलगिरि हैं, जो इसी माह नौसेना को सौंपे जा चुके हैं। इस बीच रूस में निर्मित नया युद्धपोत आईएनएस तुशील भी स्वदेश आएगा। नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाली वाग्शीर भारतीय नौसेना की छठी और कलवरी श्रेणी की अंतिम पनडुब्बी है।
आईएनएस वाग्शीर का नाम रेत मछली के नाम पर रखा गया है, जो हिंद महासागर में गहरे समुद्र में रहने वाली एक शिकारी मछली है। पनडुब्बी को सभी ऑपरेशन थियेटर में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह नौसेना टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ अंतर-संचालन योग्य है। पनडुब्बी वाग्शीर का विस्थापन 1,600 टन होगा, जिनमें सभी घातक प्रहार के लिए भारी-भरकम सेंसर और हथियार लगे हैं। सूरत और नीलगिरी को पिछले हफ़्ते मुंबई स्थित मझगांव डॉक्स (एमडीएल) ने नौसेना को सौंप दिया था। नौसेना को मिला जहाज ‘सूरत’ 35 हजार करोड़ रुपये की परियोजना 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक का चौथा और अंतिम है। इससे पहले पिछले तीन वर्षों में इसी प्रोजेक्ट के तीन जहाजों विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ और इम्फाल को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है।
सूरत की डिलीवरी भारतीय नौसेना की स्वदेशी विध्वंसक निर्माण परियोजना का समापन है। इस परियोजना की शुरुआत 2021 में हुई थी। कुल 7,400 टन वजन और 164 मीटर की लंबाई वाला निर्देशित मिसाइल विध्वंसक होने के नाते आईएनएस सूरत शक्तिशाली और बहुमुखी प्लेटफॉर्म है, जो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस है। इसने अपने समुद्री परीक्षणों के दौरान 30 नॉट्स (56 किमी/घंटा) से अधिक की गति हासिल की है। यह स्वदेशी रूप से विकसित भारतीय नौसेना का पहला एआई सक्षम युद्धपोत है, जो नौसेना की परिचालन दक्षता को कई गुना बढ़ाएगा।
नौसेना को सौंपा गया फ्रिगेट नीलगिरि प्रोजेक्ट 17 ए स्टील्थ का पहला जहाज है। इस योजना के सात जहाज एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता में बनाए जा रहे हैं। ये बहु-मिशन फ्रिगेट भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह के खतरों से ‘ब्लू वाटर’ में मुकाबला करने में सक्षम हैं। इसे डीजल या गैस से संचालित किया जाता है। इनमें अत्याधुनिक एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली भी है। जहाज में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी अपग्रेडेड गन और रैपिड फ़ायर क्लोज-इन हथियार प्रणालियों को लगाया गया है।
आईएनएस वाग्शीर (एस 26) भारतीय नौसेना के लिए छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों के पहले बैच की छठी पनडुब्बी है। यह स्कॉर्पीन श्रेणी पर आधारित एक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है, जिसे फ्रांसीसी नौसेना रक्षा और ऊर्जा समूह नेवल ग्रुप ने डिजाइन किया है और मुंबई के शिपयार्ड मझगांव डॉक लिमिटेड ने निर्मित किया है। इसमें दुश्मन के राडार से बचने, क्षेत्र की निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने, पानी के अंदर या सतह पर एक ही समय में 18 टारपीडो और ट्यूब-लॉन्च एंटी-शिप मिसाइलों के साथ सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके दुश्मन पर विनाशकारी हमला करने की क्षमता है। स्टील्थ प्रौद्योगिकी सक्षम कलवरी श्रेणी की यह पनडुब्बी 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची है। समुद्र की सतह पर इसकी गति 20 किमी प्रति घंटा और नीचे 37 किमी प्रति घंटा है। इसमें 50 दिनों के लिए 350 मीटर पानी के नीचे डूबने की सीमा है।
साभार – हिस