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राजनाथ की रूस यात्रा में उठेगा एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति में देरी का मुद्दा

  • कई अन्य महत्वपूर्ण हथियार प्लेटफार्मों के लिए पुर्जों की आपूर्ति को लेकर भी बातचीत की उम्मीद

नई दिल्ली। यूक्रेन से संघर्ष के चलते भारत को दो एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति में देरी का मुद्दा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीन दिवसीय रूस यात्रा के दौरान उठेगा। इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण हथियार प्लेटफार्मों के लिए पुर्जों की आपूर्ति को लेकर भी बातचीत होने की उम्मीद है। राजनाथ सिंह रूस में निर्मित दो गाइडेड-मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट में से पहले आईएनएस तुशील को नौसेना के बेड़े में शामिल करेंगे।

रूस अब तक भारत को 3 एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति कर चुका है, जबकि दो सिस्टम अभी मिलने हैं। चौथी प्रणाली मार्च, 2026 में और पांचवीं प्रणाली 2026 के अंत तक मिलने की संभावना है। यह दो साल की देरी यूक्रेन से संघर्ष के कारण आपूर्ति श्रृंखला संबंधी समस्याओं के कारण हुई है। वायु सेना ने अब तक मिले 03 सिस्टम की क्षमताओं का ट्रायल शुरू कर दिया है। भारत ने दो एस-400 स्क्वाड्रन को पूर्वी और उत्तरी सीमा पर तैनात किया है। तीसरी स्क्वाड्रन को पंजाब में इस तरह से तैनात किया गया है, ताकि पाकिस्तान की सीमा के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों को भी कवर किया जा सके। यह सिस्टम 380 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के बमवर्षकों, जेट विमानों, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन का पता लगाकर उन्हें नष्ट कर सकते हैं।

रक्षा मंत्री 8-10 दिसंबर तक तीन दिवसीय रूस की यात्रा पर रहेंगे। इस यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह 09 दिसंबर को कलिनिनग्राद में भारत को समुद्र का नया प्रहरी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘तुशील’ सौंपेंगे, जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित सेंसर और हथियारों से लैस है। इसके अलावा रक्षा सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) की बैठक के दौरान चर्चा की जाएगी, जिसकी सह अध्यक्षता सिंह और उनके समकक्ष एंड्री बेलौसोव 10 दिसंबर को मॉस्को में करेंगे। बैठक में भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग और औद्योगिक साझेदारी सहित विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की जाएगी।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2025 की शुरुआत में भारत की यात्रा पर आने वाले हैं, इसलिए दोनों पक्ष पहले चल रही सैन्य तकनीकी परियोजनाओं के साथ-साथ रणनीतिक हित के क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा करेंगे। 2021 के बाद आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी की भी बैठक नहीं होने के कारण भारत रूस पर एस-400 मिसाइल सिस्टम से लेकर सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू जेट और टी-90एस मुख्य युद्धक टैंकों तक के हथियार प्रणालियों के लिए उचित रखरखाव सहायता और कलपुर्जों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालना चाहता है। इसलिए एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति में देरी का मुद्दा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीन दिवसीय रूस यात्रा के दौरान उठेगा।

यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के चलते रूस से भारतीय सशस्त्र बलों के लिए पुर्जों की आपूर्ति एक बड़ी समस्या बन गई है। भारत ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही पिछले दशक में सैन्य हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए पश्चिमी देशों की ओर रुख किया है। इसलिए रूस अभी भी भारत के लिए मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जो हथियारों के आयात का 36 फीसदी से अधिक हिस्सा है।भारत को स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘तुशील’ मिलने के बाद दूसरे फ्रिगेट को अगले वर्ष की शुरुआत में आईएनएस ‘तमाल’ के रूप में शामिल किया जाएगा। अन्य दो का निर्माण गोवा शिपयार्ड में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ लगभग 13,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से किया जा रहा है, जिसमें से पहला इस साल जुलाई में ‘त्रिपुट’ के रूप में लॉन्च किया गया है।
साभार -हिस

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