भुवनेश्वर. भारत व नेपाल के बीच के संबंध प्राचीनकाल से बड़े सुदृढ़ हैं, लेकिन वर्तमान में चीन दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास उत्पन्न करने की साजिश रच रहा है. इसे लेकर हमें सचेत रहने की आवश्यकता है. नीलचक्र ओडिशा द्वारा फेसबुक लाइव कार्यक्रम के तहत आयोजित “भारत–नेपाल संबंधों पर चीन की गिद्ध दृष्टि” शीर्षक व्याख्यान में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने ये बातें कहीं. प्रो अग्निहोत्री ने कहा कि भारत व नेपाल के बीच जो संबंध हैं, वह प्राचीनकाल से हैं. दोनों देशों में सांस्कृतिक संबंधों की प्रगाढ़ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी केवल केरल के नंबुदरी ब्राह्मण ही हो सकता है. श्रीजगन्नाथ मंदिर में कस्तुरी नेपाल से ही आती है.
उन्होंने कहा कि भारत की सेना में यदि किसी अन्य देश के जवान शामिल हो सकते हैं तो वह नेपाल के हैं. इसी से दोनों देशों के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता का पता चलता है. चीन ने तिब्बत को हड़पने के बाद हमारे सीमा पर आ पहुंचा है. उसने ल्हासा तक रेलवे लाइन व सड़क मार्ग बिछा दिया है. वर्तमान में भारत सरकार अपनी सीमावर्ती इलाकों में सड़कें व अन्य अवसंरचनाओं के निर्माण के काम को प्राथमिकता देकर कार्य कर रही है, ताकि चीन जैसे विस्तारवादी देश को टक्कर दिया जा सके. उधर, चीन कोरोना वायरस से लेकर भी घिर गया है. ऐसे में वह नेपाल में सत्तासीन माओवादी सरकार के जरिये नेपाल के साथ संबंध खराब करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि लिपुलेख को लेकर जो विवाद पैदा किया जा रहा है, वह भारत व नेपाल दोनों के लोगों के लिए कोई मुद्दा नहीं है. अभी नेपाली माओवादी पार्टी के कुछ लोग लिपुलेख इलाके में झंडा फहराने गये थे, जिन्हें नेपाल के स्थानीय लोगों ने भगा दिया. उन्होंने कहा कि नेपाल के माओवादी पार्टी के नेताओं में भी इस मामले को लेकर अंतर्विरोध है. इसलिए भारत के लोगों को चीन द्वारा बिछाये गये जाल में न फंसने की आवश्यकता है. चीन अपने मंसुबों में कभी कामयाब नहीं होगा. भारत व नेपाल के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंध आने वाले दिनों में और प्रगाढ़ होंगे.
Home / National / भारत-नेपाल के बीच संबंधों को खराब करने की साजिश रच रहा है चीन – डा कुलदीप अग्निहोत्री
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