नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आगामी ‘युग युगीन भारत संग्रहालय’ देश का विकास भी, विरासत भी के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह संग्रहालय भारत की समृद्ध धरोहर और प्रगति की अटूट भावना का एक प्रमाण होगा, क्योंकि यह अपने अतीत से प्रेरणा लेकर एक खाका तैयार करेगा।
गुरुवार को भारत मंडपम में संस्कृति मंत्रालय द्वारा 1 से 3 अगस्त आयोजित तीन दिवसीय ‘आगामी युग युगीन भारत संग्रहालय पर राज्य संग्रहालय सम्मेलन’ का उद्घाटन करते हुए गजेन्द्र शेखावत ने कहा कि युग-युगीन भारत संग्रहालय पारंपरिक संग्रहालय अनुभव से आगे निकलकर समावेशिता की भावना को मूर्त रूप देगा। यह लोगों का संग्रहालय होगा, जो सामुदायिक आख्यान केंद्रित होगा- लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की विरासत का एक प्रमाण। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘युग युगीन भारत संग्रहालय’ के दृष्टिकोण को साकार करने में राज्य संग्रहालयों और केंद्र सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है, जिसका उद्देश्य वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का उदाहरण देना है।
इस कॉन्क्लेव में देश भर के रेजिडेंट कमिश्नरों, संग्रहालय निदेशकों, अधीक्षकों, क्यूरेटर, प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं सहित हितधारकों के एक विविध समूह ने भाग लिया है। इससे पहले भी मंत्रालय ने क्षमता निर्माण के लिए दो सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें संग्रहालय पेशेवरों-निदेशकों, क्यूरेटर, शिक्षा अधिकारियों ने भाग लिया। इसका मकसद प्रसिद्ध भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय पेशेवरों के नेतृत्व में, मंत्रालय का लक्ष्य राज्य-स्तरीय कर्मियों को संग्रह प्रबंधन, संग्रह और संग्रहालय प्रशासन में आवश्यक कौशल से लैस करना है।
‘युग युगीन भारत संग्रहालय’-
‘युग युगीन भारत संग्रहालय’ सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में स्थापित होने के लिए तैयार है, जिसका उद्देश्य नई दिल्ली के रायसीना हिल के पास स्थित भारत के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करना है। यह संग्रहालय 1,54,000 वर्गमीटर में फैला होगा, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय बना देगा। संग्रहालय के लिए वीडियो वॉक थ्रू का अनावरण सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2023 में किया था। इस संग्रहालय को फ्रांस के सहयोग से एडाप्टिव रीयूज के माध्यम से विकसित किया जाएगा, क्योंकि फ्रांस लौवर जैसी समान परियोजनाओं में विशेषज्ञता रखता है, जिसमें फ्रांसीसी वित्त मंत्रालय भी स्थित है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही मित्रता के कारण, फ्रांस इस परियोजना में भारत का भागीदार है और इस मित्रता ने 2020 में दोनों सरकारों के बीच एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें संग्रहालय और विरासत सहयोग पर बल दिया गया है।
साभार – हिस