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मप्रः भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा में दरार को लेकर हलचल

  • पूर्व विधायक ने शेयर की तस्वीर, प्रबंधन बोला- कई वर्षों से जस की तस

मंदसौर। नगर में विराजित अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ महादेव की मूर्ति को लेकर पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया द्वारा सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर हलचल मचा दी है। उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि भगवान पशुपतिनाथ महादेव की मूर्ति के ऊपर वाले मुख में दरार पड़ गई है। इसमें मुख्यमंत्री और कलेक्टर को टैग भी किया है।
मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ का मंदिर शिवना नदी के किनारे स्थित है। यहां भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा विराजमान है। बताया जाता है कि भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी यह प्रतिमा ढाई हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है।
पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने सोमवार को अपने पोस्ट में लिखा कि श्रद्धा, भक्ति और आस्था का केंद्र “भगवान पशुपतिनाथ महादेव” की दिव्य एवं नयनाभिराम अष्टमूर्ति प्रतिमा दशपुर की नगरी मंदसौर (मध्य प्रदेश) में विराजित है। आशंका जताई जा रही है और संभावनाएं बताई जा रही है कि “प्रतिमा के मुख पर दरार पड़ रही है”, यदि ऐसा है तो तकनीकी विशेषज्ञों की टीम बनाकर, जानकारों से सलाह लेकर प्रतिमा के क्षरण को रोका जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और भारत सरकार के पुरातत्व विभाग को टैग कर आवश्यक दिशा निर्देश एवं उचित कार्रवाई करने के लिए आग्रह किया है।
वहीं, मंदसौर के कांग्रेस विधायक विपिन जैन भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि भगवान पशुपतिनाथ की अलौकिक अष्टमुखी मूर्ति के शीर्ष पर दरार पड़ने एवं उसके क्षरण की जानकारी प्राप्त हुई है। वर्तमान में यहां पर शासन द्वारा 25 करोड़ रुपये में पशुपतिनाथ लोक का निर्माण भी किया जा रहा है। भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति पर दरार पड़ना अत्यंत चिंताजनक है। क्षरण को रोकने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों व मूर्तिकला के जानकारों की संयुक्त टीम गठित करें।
पूर्व विधायक सिसोदिया ने बताया कि विषय की गंभीरता थी। आज सावन का पहला सोमवार है। सुबह मेरे पास सोशल मीडिया पर फोटोग्राफ्स आई, जिसमें पशुपतिनाथ जी के सिर से गाल तक दरार दिखाई दे रही थी। जनप्रतिनिधि के नाते मेरा दायित्व बनता था। मैंने इसे एक्स पर पोस्ट किया। मुख्यमंत्री, कलेक्टर को टैग कर मांग की है कि सरकार के आर्कियोलाजी विभाग की विषय विशेषज्ञों की टीम आकर इस क्षरण को रोक सके। उन्होंने कहा कि हम विषय विशेषज्ञों की मदद लेंगे, क्योंकि ऐसी प्रतिमा हिंदुस्तान में ही नहीं विश्व में भी कहीं नहीं है। यह दुर्लभ है, इसके लिए जो भी कड़े कदम उठाए जाना चाहिए वो उठाना चाहिए।
दरार आज से नहीं पूर्ववर्ती हैं: मंदिर प्रबंधक
इस संबंध में मंदिर प्रबंधक राहुल रूनवाल ने कहा कि श्री पशुपतिनाथ मंदिर में देखने में आ रहा है कि कुछ फोटो वायरल हुए हैं। ये दरारें अभी की नहीं, विगत कई वर्षों की है। मंदिर समिति ने आर्कियोलोजिकल डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों को बुलाकर यह बताया भी था। कई बार इसका ट्रीटमेंट भी करा चुके हैं। वह दरार आज से नहीं, पूर्ववर्ती हैं। दरार कब से है, यह मैं नहीं बता सकता, लेकिन समय-समय पर एक्सपर्ट्स आकर इसे देखते हैं। मंदिर समिति उचित निर्णय लेकर इसके लिए कार्य करेगी।
मंदिर के पुजारी राकेश भट्ट ने बताया कि ये दरार यथावत काफी पुराने समय से है। उन्होंने बताया कि मैंने जब से यहां पूजा-पाठ शुरू की है, तब से यह देखते आ रहा हूं। यथावत ऐसी ही स्थिति में बनी हुई है। कोई नई दरार नहीं बनी है। प्रतिमा में क्षरण जैसी बात है, वैसा कुछ नहीं है। पूर्व में जो जल चढ़ाने समेत प्रतिबंध लगाए गए सबसे ऐसा कुछ यहां देखने में नहीं आया है। उन्होंने बताया कि अभी ऊपर जल चढ़ाना केवल पुजारी का काम है, भक्त जो जल चढ़ाते हैं वह केवल चरणों में चढ़ता है। पहले भक्त दूध, पंचामृत खुद चढ़ाते थे। जिसके कारण क्षरण जैसी स्थिति उत्पन्न होती थी। अभी यह केवल निर्धारित मात्रा में होता है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ का अभिषेक होता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी कैलाशचंद्र भट्ट ने बताया कि कई वर्षों मैं यहां सेवा, पूजा, अर्चना कर रहा हूं। मूर्ति में ऊपर दरार प्रारंभ से ही देखते आ रहे हैं। यह न तो घटी हैं और न बढ़ी हैं। शिवना नदी में लगभग 700 से 800 साल तक मूर्ति रही है। पानी, बाढ़ व अन्य कारणों से मूर्ति पर जो निशान बने हैं, वह हैं। क्षरण नहीं हो रहा है।
साभार – हिस

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