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ओडिशा  ,नोबेल पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध विश्व गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती 8 मई, 2024 को ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर में मनाई गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर चक्रधर त्रिपाठी ने टैगोर की तैल चित्रकला पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रोफेसर शरत कुमार पलिता, डीन, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण स्कूल; डॉ कपिला खेमुंडु, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, समाजशास्त्र विभाग और डॉ काकोली बनर्जी, सहायक प्रोफेसर, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण विभाग भी उपस्थित थे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर त्रिपाठी ने देश के सतत विकास के उद्देश्य से टैगोर के दृष्टिकोण, दर्शन और शैक्षिक प्रयासों पर प्रकाश डाला। टैगोर की प्रसिद्ध कृति गीतांजलि का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया गीतांजलि में टैगोर के लेखन को देखकर हैरान थी। विश्वगुरु रवींद्रनाथ ने कविता के रूप में गीतांजलि के शब्दों के माध्यम से हमारे समाज के सार और हमारे देश की छवि पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर त्रिपाठी ने टैगोर की विश्वभारती, शांतिनिकेतन की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया, जिसने सामाजिक मूल्यों और ग्रामीण जीवन के सुधार के आधार पर एक शांतिपूर्ण और विकसित दुनिया की परिकल्पना की। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि वह एक हाईप्रोफाइल कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार हैं।
प्रोफेसर पालिता ने भारत और विश्व के लिए टैगोर के गहन योगदान, विशेष रूप से उच्च शिक्षा के एक प्रतिष्ठित संस्थान विश्व भारती की स्थापना पर प्रकाश डाला। उन्होंने ओडिशा के साथ टैगोर के महत्वपूर्ण संबंधों पर भी प्रकाश डाला। डॉ. खेमुंदु ने टैगोर के शिक्षा के दर्शन पर विस्तार से बताया, जो 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में परिलक्षित हुआ था। डॉ. बनर्जी ने एक प्रतिष्ठित पर्यावरणविद् के रूप में टैगोर के योगदान के बारे में बात की और उनके कुछ लोकप्रिय कार्यों के प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डॉ. सौरभ गुप्ता, संस्कृत विभाग के डॉ. देबाशीष कर्मकार, शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षक डॉ. पार्थ प्रतिम दास, उड़िया विभाग के डॉ. गणेश प्रसाद साहू और अंग्रेजी विभाग के डॉ. प्रसेनजीत सिन्हा आदि ने अपने विचार रखे।
डॉ. रुद्राणी मोहंती, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, ओडिया भाषा और साहित्य विभाग ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि डॉ. चक्रधर पधान, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, हिंदी विभाग ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। विश्वविद्यालय के सभी संकाय सदस्य इस कार्यक्रम में उपस्थित थे और टैगोर की स्थायी विरासत को याद करने के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. फगुनाथ भोई, जनसंपर्क अधिकारी, ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का समन्वय और समर्थन किया और इसे सफलतापूर्वक लागू किया।

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By desk

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