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गुजरात की 5 लोकसभा सीटों पर विभिन्न समीकरणों से रोमांचक मुकाबले के आसार

अहमदाबाद। लोकसभा चुनाव 2024 के तहत गुजरात में 7 मई को 25 सीटों के लिए मतदान किया जाएगा। एक सीट सूरत लोकसभा पर भाजपा पहले ही निर्विरोध जीत हासिल कर चुकी है। राज्य में चुनावी प्रचार के साथ ही केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला के बयान ने क्षत्रिय समाज को नाराज कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि राज्य भर में क्षत्रिय संगठित होने लगें। चुनाव मध्य में इस आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री अमित शाह समेत कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की ताबड़तोड़ सभाएं ने माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

गुजरात में पिछले 2 लोकसभा चुनावाओं में भाजपा ने सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज कर इस बार हैट्रिक बनाने की पुरजोर तैयारी की है। इससे पहले वर्ष 2022 के राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में अब तक की सबसे बड़ी जीत कुल 182 सीटों में से 156 सीट लाकर दर्ज की थी। बाद में कांग्रेस के 4, निर्दलीय 1 और आम आदमी पार्टी के एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया। राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ ही 5 विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव हो रहा है। इन सभी पूर्व विधायकों ने अपना इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। अब भाजपा की टिकट पर ये सभी चुनाव लड़ रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आआपा) में सीटों का समझौता हुआ है। राज्य में कांग्रेस 24 और आआपा 2 सीट पर चुनाव लड़ रही है। इस वजह से इस बार भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच आमने-सामने का मुकाबला है। आआपा भावनगर और भरुच सीट पर है, बाकी सभी 24 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द होने के कारण यह सीट भाजपा के पाले में पहले ही घोषित की जा चुकी है। इसलिए यह माना जा रहा है कि राज्य में कुछ सीटों को छोड़ दें तो सभी सीटों पर एकतरफा भाजपा के पक्ष में माहौल है। भाजपा ने जहां अपनी चुनाव तैयारी माइक्रोलेबल पर करते हुए सभी बूथों पर लीड लेने के लिए कमर कसी है वहीं सभी सीटों को प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल ने 5 लाख मतों के अंतर से जीतने के लिए कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है। इस लीड को हासिल करने के लिए राज्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ताबड़तोड़ सभाएं और रोड शो किए गए हैं। राज्य की 5 सीटों पर रोचक मुकाबले के आसार कई स्थानीय समीकरण समेत अन्य कारणों से दिखाई देते हैं। ये पांच सीटों में भरुच, बनासकांठा, सुरेन्द्रनगर, वलसाड और राजकोट है।
भरुच : भरुच सीट इंडी गठबंधन के तहत आआपा के पास गई है। यहां कांग्रेस और आआपा साथ-साथ हैं। हालांकि इस सीट पर महत्व का स्थान रखने वाले कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल की पुत्री मुमताज पटेल आआपा के लिए प्रचार नहीं कर रही हैं, जबकि दूसरी ओर भाजपा ने यहां लगातार 6 बार से जीत रहे मनसुख वसावा को उम्मीदवार बनाया है।

चुनाव पूर्व ही आम आदमी पार्टी उम्मीदवार चैतर वसावा को वन्यकर्मियों को धमकाने और उनके अभद्र व्यवहार के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। इसकी वजह से वे इस मतदाता क्षेत्र में सुर्खियों में आ गए थे। वसावा 2014 से भारत ट्राइबल पार्टी के सदस्य थे। बाद में वर्ष 2022 में वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। आम आदमी पार्टी ने इन्हें डेडियापाड़ा से चुनाव लड़ाया, जिसके बाद वे जीत कर विधायक बने हैं। दूसरी ओर भाजपा के उम्मीदवार मनसुख वसावा पिछले लोकसभा चुनाव में 3.34 लाख मतों के अंतर से चुनाव जीतने में सफल हुए थे। भरुच सीट पर आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की बहुतायत है। भरुच लोकसभा की 7 विधानसभा सीटों में एक डेडियापाड़ा को छोड़कर शेष सभी 6 सीट भाजपा के पास है। आआपा के लिए अब तक यहां आआपा नेता संजय सिंह, सुनीता केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रचार कर चुके हैं।
बनासकांठा : पशुपालन समेत डेयरी के लिए प्रख्यात बनासकांठा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की गेनीबेन ठाकोर और भाजपा की डॉ रेखाबेन चौधरी उम्मीदवार हैं। गेनीबेन वाव विधानसभा सीट से कांग्रेस की विधायक हैं, जबकि डॉ रेखाबेन चौधरी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। गेनीबेन को इस क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल हैं। इन्होंने वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के बड़े नेता और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी को हराया था। गेनीबेन के प्रचार में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आ चुकी हैं, जबकि भाजपा की रेखाबेन चौधरी के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभा की है। उत्तर गुजरात की यह सीट अभी भाजपा के पास है। भाजपा ने परबत पटेल का टिकट काटकर सहकारी अग्रणी परिवार की महिला को यहां से मैदान में उतारा है। यहां की 7 विधानसभा सीटों में 2 सीट वाव और दांता कांग्रेस के पास है। वहीं भाजपा के पास 4 सीट थराद, पालनपुर, डीसा और दियोदर है। एक धानेरा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल हुआ था। यहां ठाकोर और चौधरी समाज के मतदाता सर्वाधिक हैं। कांग्रेस ने यह सीट पिछली बार 2009 में जीती थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के परबत पटेल 3.68 लाख मतों के अंतर से जीते थे।

राजकोट : राजकोट सीट पर रस्साकशी है। इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद मोहन कुंडारिया का टिकट काटकर केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार के बारे में यहां अंतिम क्षणों तक सस्पेंस बना रहा। बाद में कांग्रेस ने यहां से लेउवा पटेल समाज के कांग्रेस के दिग्गज नेता परेश धानाणी को उम्मीदवार बनाया। इस सीट पर देशभर की निगाहें टिकी हैं। इसकी वजह है कि रूपाला ने शुरुआत में ही चुनाव प्रचार के दौरान एक विवादित बयान दिया जिसके बाद राज्य भर का क्षत्रिय समाज इनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगा। रूपाला का विरोध होता देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब सुरेन्द्र नगर में तीन लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार में आए तो वहां राजकोट के उम्मीदवार परषोत्तम रूपाला को जगह

नहीं दी गई। वे मंच से गायब थे। रूपाला और धानाणी के बीच वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में टक्कर हो चुकी है। तब धानाणी युवा थे और रूपाला जैसे कद्दावर नेता को उन्होंने मात दे दी थी। तब से धानाणी को जाइंट किलर भी कहा जाने लगा था। इस सीट पर जातीय समिकरण में धानाणी की उप जाति लेउवा पटेल की इस लोकसभा सीट में 4 लाख से अधिक मत है। जबकि रूपाला की उप जाति कड़वा पटेल की संख्या करीब 2 लाख है। यहां राजपूतों का मत निर्णायक हो सकता है, जबकि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का भाजपा को पूरा भरोसा है।
वलसाड : दक्षिण गुजरात की यह सीट कई मायनों में अहम है। कहा जाता है कि इस सीट से जिस पार्टी की जीत होती है, उसकी केन्द्र में सरकार बनती है। भाजपा ने यहां से धवल पटेल को उतारा है जबकि कांग्रेस के अनंत पटेल मुकाबले में हैं। कांग्रेस की ओर से यहां प्रियंका गांधी सभा कर चुकी हैं, वहीं भाजपा की ओर से भी यहां कई दिग्गज नेताओं की सभाएं की गई हैं। वलसाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस वर्ष 2004 और वर्ष 2009 में चुनाव जीती थी। जबकि वर्ष 2014 और 2019 में भाजपा ने यहां से जीत हासिल की थी।

सुरेन्द्रनगर: सुरेनद्रनगर सीट पर भाजपा की ओर से चंदु शिहोरा और कांग्रेस से ऋत्विक मकवाणा उम्मीदवार हैं। दोनों ही दलों की ओर से इस बार अपने उम्मीदवार बदले गए हैं। दोनों उम्मीदवार कोली समाज के हैं, लेकिन भाजपा उम्मीदवार युंवालिया कोली और कांग्रेस उम्मीदवार तलपदा कोली समाज से आते हैं। तलपदा की संख्या 4 लाख और युंवालिया की संख्या दो लाख के करीब है। क्षत्रिय समाज भी दो लाख से अधिक है। इस लोकसभा सीट पर कोली नेता सोमा पटेल भी महत्वपूर्ण फैक्टर बनते हैं। इस बार वे भाजपा के खेमे में आ चुके हैं। इससे भाजपा फायदा लेने की कोशिश में है।
साभार – हिस

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