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फनी की यादें हुईं ताजा, फिर चक्रवाती तूफान का खतरा मंडराया

  • मई महीने में देश में दे सकता है दस्तक

भुवनेश्वर. ओडिशा में फनी को आये अभी सालभर भी नहीं हुए कि कोरोना वायरस ने अपना कहर बरपाने लगा है. इस संकट के बीच देश पर एक ‘चक्रवाती तूफान’ का खतरा भी मंडराने लगा है. स्काईमेट वेदर की यदि मानें तो यह चक्रवाती तूफान मई महीने में देश में दस्तक दे सकता है. बंगाल की खाड़ी से उठने वाला तूफान ओडिशा और उसके आस-पास के राज्य के लिए मुसीबत बन सकता है.

आशंका जताई जा रहा है कि ये ‘चक्रवाती तूफान’ एक मई से तीन मई के बीच आ सकता है. ऐसा माना जाता है कि साल में दो बार ऐसा होता है, जब ‘चक्रवाती तूफान’ आने की आशंका होती है. पहला मौका मानसून सीजन से पहले और दूसरा मानसून सीजन के बाद और मानसून सीजन आम तौर पर जून के पहले महीने में शुरू होता है, इस बार ये तूफान मानसून से पहले आने की आशंका व्यक्त की जाती है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरोलॉजी (आईआईटीएम), पुणे और अमेरिका स्थित ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (जीएफएस) ने एक भविष्यवाणी की है कि 30 अप्रैल को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव बन सकता है. इसके बाद यह एक अवसाद में तब्दील होगा और फिर एक चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा. चार-पांच मई के आसपास लैंडफॉल बनाने से पहले बांग्लादेश और म्यांमार की ओर बढ़ेगा. हालांकि इसकी भविष्यवाणी में स्पष्ट रूप से ओडिशा को जिक्र नहीं है, लेकिन जाजपुर और भद्रक जिलों में दो मई के आसपास सर्द हवाओं के साथ भारी वर्षा का अनुभव हो सकता है. इसके अलावा, तटीय जिले और अन्य आसपास के जिलों में मध्यम वर्षा देखी जाएगी.

हालांकि भारतीय मौसम विभाग या भुवनेश्वर में इसके क्षेत्रीय केंद्र की इस संभावित चक्रवात पर बुलेटिन आनी बाकी है. हालांकि, समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर एक असंतुलित माहौल के कारण ज़मीन की सतह से हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश होगी तथा बिजली भी चमकेगी. यह ओडिशा के तटीय जिलों, दक्षिणी जिलों और कुछ उत्तरी जिलों को प्रभावित करता है.

उल्लेखनीय है कि महा चक्रवात फनी पिछले साल तीन मई को ओडिशा में जमीन से टकराया था. इसकी भी भविष्यवाणी भी काफी कठिनाई भरी रही. 21 अप्रैल से संरचना शुरू हुई और 27 अप्रैल को एक तीव्र चक्रवात में तब्दील हो गया. यह 29 अप्रैल को एक ‘भीषण चक्रवाती तूफान’ बन गया और 30 अप्रैल को एक ‘बहुत गंभीर चक्रवात’ बन गया. एक दिन बाद इसने इसका विकराल रूप ले लिया और महा चक्रवात के रूप में तीन मई को ओडिशा तट पर 175 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया. इसकी रफ्तार 200-250 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गई थी.

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