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इसमें कैंसर का प्रतिशत सबसे ज्यादा
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भारत में प्रतिवर्ष लगभग 18 लाख लोग होते हैं कैंसर के मरीज
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हर साल लगभग 10 लाख की होती है मृत्यु – सर्वे
भारत के आर्थिक सर्वे में पाया गया कि 4-6 करोड़ लोगों की आर्थिक स्थिति किसी गंभीर बीमारी के इलाज में काफी अधिक पैसा खर्च हो जाने के कारण हुई है, जिसमें कैंसर का प्रतिशत सबसे ज्यादा है l आज आम आदमी की सम्पन्नता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि कुछ सस्ते सुलभ इलाज से रोगियों को सहायता मिल सके। भारतवर्ष में प्रतिवर्ष लगभग 18 लाख लोगों को कैंसर की बीमारी होती है और इसमें से लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु का आंकड़ा इसलिए भी अधिक है, क्योंकि भारतवर्ष में जागरूकता के अभाव में देरी से कैंसर का पता चलता है, तब तक यह बीमारी लाइलाज हो जाती है। इसका कारण जागरूकता का अभाव ही हैl यदि हम इसके मूल कारणों पर जाएं, तो आज के समय में हमारा अपथ्य आहार विहार, केमिकल युक्त भोजन, पानी एवं प्रदूषित हवा, गुटका, तंबाकू शराब आदि का लगातार सेवन मुख्य कारण हैl आधुनिक विज्ञान में सर्जरी, कीमोथेरेपी एवं रेडियो थेरेपी से इसका इलाज किया जाता है, परंतु इससे मरीजों को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता हैl आयुर्वेद शास्त्रों में हजारों वर्ष पूर्व से ही कैंसर जैसी बीमारी का वर्णन है, कैंसर शरीर की कोशिकाओं में वात पित्त एवं कफ के द्वारा रक्त, मांस एंव मेद को दूषित होने के कारण होता हैl अतः आयुर्वेद दवाओं के प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारी पर नियंत्रण किया जा रहा है।
कैंसर के घाव को भरने के लिए गाय के घी से बनी दवा के प्रयोग पर रिसर्च कार्य जारी है एवं अनेक रोगी अस्पताल में कैंसर का इलाज करवाने आ रहे हैंl आयुर्वेद में अनेक औषधि जैसे गोमूत्र, गो दुग्ध, गिलोय, आमलकी, हरिद्रा, नीम, अभ्रक, काली तुलसी, कलौंजी, सदाबहार, त्रिफला, गेहूं के ज्वारे का रस, ग्वार पाठा आदि औषधियों का प्रयोग किया जा रहा हैl देसी गाय का ताजा मूत्र सात बार छानकर रोजाना 100 एमएल दिन में तीन बार लेने से कैंसर पर रोकथाम होती है l गाय के दूध में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। गाय के दूध में लगभग 600 प्रकार के अमीनो एसिड पाई जाती है। यदि कैंसर का रोगी जीवनभर भी गाय का दूध पीये तो स्वस्थ रह सकता हैl यदि कैंसर में रक्त कोशिकाएं कम होती हों, तो गीलॉय, पुनर्नवा, नवायस लोह, द्राक्षासव, सारिवादि वटी से रक्त शोधन एवं रक्त वर्धन किया जाता हैl कीमोथेरेपी से 7 दिन पूर्व में यदि पित्त नाशक औषधि जैसे गिलोय को रातभर पानी में भिगोकर एवं सुबह पानी में मसल कर उसका रस पी ले, तो कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव कम होते हैं l रेडियोथैरेपी के दौरान यदि गाय के घी में आमलकी एवं जैविक हरिद्रा का पाउडर मिलाकर पीये तो नुकसान कम होता है। मुंह के कैंसर में यदि रेडियोथैरेपी के दौरान इमली का टुकड़ा मुंह में रखा जाए तो फायदा मिलता हैl आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म, हीरक भस्म आदि में कैंसर कोशिकाओं को मारने की तीव्र क्षमता होती है और यह कीमोथेरेपी की तरह सामान्य कोशिकाओं को नहीं मारते हैं, इस पर रिसर्च भी हो चुकी है l गोमूत्र में लगभग 100 प्रकार के तत्व होते हैं, जिन तत्वों से निकलने वाले किरणों में कैंसर सेल को मारने की क्षमता होती है l कैंसर के रोगी को ठंडी चीजों से परहेज करना चाहिए और दिनभर मुलेठी के गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए l आयुर्वेद दवाइयां कोशिकाओं में स्थित डीएनए पर कार्य करती हैं और वात पित्त कफ का संतुलन करती हैं l अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए अनेक सेमिनार एवं व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। कैंसर के दौरान यदि शरीर में कोई गांठ हो जाए तो उसको कम करने के लिए कांचनार गुग्गुल, नित्यानंद रस, वंग भस्म आदि औषधियों का पूर्ण योगदान है l आयुर्वेद औषधियों से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है और यह कैंसर के रोगी के सफल सुखमय जीवन को बढ़ाने में सहायता करती हैं आयुर्वेद दवाइयां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं, जिससे कैंसर खत्म होता हैl
(सौजन्य- डा विजय त्रिपाठी)