नई दिल्ली। फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों के लिए केंद्र प्रायोजित योजना को कैबिनेट ने तीन वर्षों तक जारी रखने की मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 01 अप्रैल 23 से 31 अप्रैल 26 तक केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को जारी रखने की मंजूरी दी है। इसके तहत 1952.23 करोड़ (केंद्रीय हिस्से के रूप में 1207.24 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 744.99 करोड़ रुपये) रुपये का वित्तीय निहितार्थ होगा।
केंद्रीय अंश निर्भया फंड से वित्त पोषित योजना 2 अक्टूबर 2019 को शुरू की गई थी ताकि समर्पित अदालतों के रूप में डिजाइन किए गए एफटीएससी यौन अपराधियों के लिए निवारक ढांचे को मजबूत करते हुए पीड़ितों को त्वरित राहत प्रदान करते हुए त्वरित न्याय सुनिश्चित कर सकें।
भारत सरकार ने अगस्त 2019 में बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम ( पोस्को) से संबंधित मामलों के समय पर निस्तारण को एफटीएससी की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना तैयार की थी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए योजना ने 100 से अधिक पोस्को अधिनियम मामलों वाले जिलों के लिए विशेष पोस्को न्यायालयों की स्थापना को अनिवार्य कर दिया।
प्रारंभ में अक्टूबर 2019 में एक वर्ष के लिए शुरू की गई इस योजना को अतिरिक्त दो वर्षों के लिए 31 मार्च 23 तक बढ़ा दिया गया था। अब इसे 1952.23 करोड़ निर्भया फंड से वित्त पोषित केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
योजना के अपेक्षित परिणाम में यौन और लिंग आधारित हिंसा समाप्त करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करना और बलात्कार व पोस्को अधिनियम के लंबित मामलों को काफी हद तक कम करने की है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर बोझ से राहत मिलेगी।
साभार -हिस