सहरसा/भुवनेश्वर। कोसी क्षेत्र के चर्चित ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा (कोजागरा) 28 अक्टूबर को ही मनेगी,सम्पूर्ण भारत मे ये ग्रहण प्रभावी रहेगा एवं दिखेगा। खंडग्रास चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात मे 01.05 से शुरू होगा एवं 01.44 बजे दिखेगा।रात्री के 02.25 मे होगा मोक्ष।
ज्ञात हो की ग्रहण के 09 घंटा पहले सूतक लगेगा।साथ ही एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी जो रात्री मे चन्द्रमा के सामने खीर रख कर सोरस कला प्राप्त की जाती है वो बिलकुल नहीं किया जायेगा।आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार इस वर्ष 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है एवं संयोगवश चंद्रग्रहण भी उस दिन ही पर रहा है।सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, जप-तप, गंगा स्नान और दान करने का विधान है।
धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। सूतक के समय धार्मिक कार्य और सभी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। गर्भवती स्त्री को घर से बाहर निकलने की मनाही होती है।अनदेखी से प्रतिकूल असर पड़ता है।
लक्ष्मी देवी की पूजा करें
मान्यता है कि शरद पूर्मिमा के दिन हा मां लक्ष्मी धरती पर अवतरित हुईं थी। लक्ष्मी मां समुद्र मंथन के दौरान धरती पर आईं। इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा इस की जाती है। पूजा करने वाले के घर कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होती है। शरद पूर्णिमा के दिन एक लकड़ी के तख्ते पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। फिर देवी लक्ष्मी की पूजा करें और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा भी शीतलता प्रदान करता है। इस दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास उपाय करने का शास्त्रों में उल्लेख है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा के लिए पूजा के दौरान पान का एक पत्ता मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। पूजा होने के बाद इस पत्ते को परिवार में प्रसाद के रूप में बांट दें।
खीर में होती है अमृत की वर्षा
मान्यता है शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे खाना चाहिए। इस खीर में अमृत की वर्षा होती है। ओडिशा में लोग इस परंपरा का पालन आज भी करते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन अधिकांश घरों में खीर बनाई जाती है और सुरक्षित जगह पर खुले आसमान में रखा जाता है।