नई दिल्ली, केंद्रीय विद्युत इंजीनियरिंग सेवा (सीपीईएस) के 2018, 2020 और 2021 बैच के अधिकारियों और भारतीय व्यापार सेवा (आईटीएस) के 2022 बैच के प्रोबेशनरों ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि किसी देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति का एक संकेतक ऊर्जा मांग और खपत है। इसलिए जैसे-जैसे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ेगा, बिजली की मांग और खपत निश्चित रूप से बढ़ेगी जो देश के विकास को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारियों से ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया, जिससे जलवायु परिवर्तन से संबंधित लक्ष्यों को हासिल करना आसान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा परिवर्तन और ग्रिड एकीकरण की प्रक्रिया में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन उन्हें चुनौतियों से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने में उत्पादक भूमिका निभानी होगी। राष्ट्रपति ने उनसे बिजली क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को महत्व देने का आग्रह किया ताकि भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे।
राष्ट्रपति ने भारतीय व्यापार सेवा के प्रोबेशनरों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सेवा अंतरराष्ट्रीय संबंधों और व्यापार संचालन की बारीकियों दोनों के ज्ञान की मांग करती है ताकि वे व्यापार वार्ता और व्यापार नीतियों में नए आयाम ला सकें और भारत के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई गति प्रदान कर सकें। भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि विदेश व्यापार नीति 2023 निर्यातकों के साथ ‘विश्वास’ और ‘साझेदारी’ के सिद्धांतों पर आधारित है।
राष्ट्रपति ने भारतीय व्यापार सेवा के प्रोबेशनरों से उभरते अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य को समझने के लिए व्यापार विश्लेषण के नवीनतम उपकरणों को सीखने और उनका उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों को समझने और संभालने के लिए उन्हें समग्र दृष्टिकोण के साथ-साथ विशिष्ट डोमेन विशेषज्ञता की भी आवश्यकता है।
साभार -हिस