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एनटीए के नतीजों को ओडिशा उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती
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अदालत ने दावों की सच्चाई का पता लगाने का दिया था निर्देश
नई दिल्ली/भुवनेश्वर। जेईई-2022 में एक अभ्यर्थी को दो तरह से मिले अंकों के मामले की सीबीआई जांच करेगी। खबर है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अंकों को लेकर संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) के एक अभ्यर्थी की शिकायत पर प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की है। यह मामला ओडिशा से जुड़ा हुआ है। अधिकारियों ने यह जानकारी आज बुधवार को देते हुए बताया कि अभ्यर्थी ने अपने अंकों के संबंध में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के नतीजों को ओडिशा उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने उच्च न्यायालय के आदेश पर पीई दर्ज की है, जिसने उसे अंशुमान कानूनगो द्वारा किए गए दावों की सच्चाई का पता लगाने का निर्देश दिया है।
जेईई 2022 में दो तरह के अंक दिखाए गए
अंशुमान कानूनगो ने कहा है कि एनटीए के एक ई-मेल के आधार पर उन्हें पता चला कि जेईई 2022 में उच्च अंक प्राप्त हुए हैं, लेकिन एनटीए ने यह कहते हुए इसका खंडन किया कि उनके अंक बहुत कम थे।
कानूनगो ने उच्च न्यायालय को बताया कि देशभर में 100 से अधिक मामले हैं, जहां छात्रों ने जेईई, 2022 के अंकों को लेकर सवाल उठाए हैं। कानूनगो ने दावा किया कि उन्होंने 98.8810861 का कुल स्कोर हासिल किया है, जिसकी सूचना उन्हें एक ई-मेल के माध्यम से दी गई थी। उपरोक्त जानकारी प्राप्त करने के बाद याचिकाकर्ता आश्वस्त हो गया कि वह देश के बेहतरीन कॉलेज जैसे आईआईटी, एनआईटी में प्रवेश लेगा और अखिल भारतीय जेईई (एडवांस) प्रवेश परीक्षा, 2022 में उपस्थित होने के लिए भी पात्र हो गया है। जब शीर्ष कॉलेज में प्रवेश या जेईई (एडवांस)-2022 के लिए पात्रता के लिए कोई सूचना पत्र नहीं आई, तो कानूनगो ने वेबसाइट के माध्यम से कारण पूछा, जिसमें बताया गया कि सत्र-एक के संबंध में उनका एनटीए स्कोर 18.88 और सत्र-दो के संबंध में 33.1374067 था।
दस्तावेज की जांच जरूरी
उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए कहा था कि अगर कानूनगो द्वारा वेबसाइट से डाउनलोड किए गए दस्तावेज असली हैं, तो उन्हें अपने पसंदीदा संस्थान जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में दाखिला मिलना चाहिए। न्यायमूर्ति बीआर षाड़ंगी और न्यायमूर्ति एमएस रमन की पीठ ने 17 अगस्त को आदेश में कहा था कि अगर दस्तावेज असली नहीं पाए जाते हैं, तो यह पता लगाया जाएगा कि याचिकाकर्ता ने उसे कैसे हासिल किया, ताकि भविष्य में प्रतिवादी पक्ष ऐसी गलतियां न करे।
अदालत ने भारी हेरफेर का संदेह जताया
अदालत ने कहा कि अंकों में हुए इस बदलाव ने याचिकाकर्ता से जेईई (एडवांस)-2022 में शामिल होने या आईआईटी, एनआईटी जैसे बेहतरीन कॉलेज में प्रवेश लेने का अधिकार छीन लिया है। चूंकि दोनों सत्रों में उसका स्कोर 98 प्रतिशत से अधिक था और 7 अगस्त, 2022 को दूसरे पक्ष द्वारा प्रकाशित अंतिम परिणाम में एक अलग ही परिणाम दिखाया गया। इस प्रकार याचिकाकर्ता के परिणाम में भारी हेरफेर हुआ है।