नई दिल्ली, भारत सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना को अधिसूचित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेलंगाना की एक जनसभा में इसकी स्थापना की घोषणा की थी। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड हल्दी के बारे में जागरुकता तथा खपत बढ़ाएगा और निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करेगा।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता में बताया कि बोर्ड नए उत्पादों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगा और मूल्यवर्धित हल्दी उत्पादों के लिए पारंपरिक ज्ञान को विकसित करेगा। भारत से हल्दी का निर्यात 2030 तक बढ़कर 8400 करोड़ रुपये (1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंचने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना के कुछ जिलों में हल्दी का बड़े स्तर उत्पादन होता है, लेकिन किसानों को उपयुक्त माहौल होने का लाभ नहीं मिल पाता है। इन किसानों की बोर्ड गठन की सालों से मांग रही है। बोर्ड गठन से तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिनलाडु, आंध्रा प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, असम और गुजरात राज्यों के किसानों को भी लाभ मिलेगा।
सरकार के अनुसार हल्दी के स्वास्थ्य और कल्याणकारी लाभों पर दुनियाभर में महत्वपूर्ण संभावनाएं और मांग है। इसका लाभ बोर्ड जागरुकता और खपत बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करने, नए उत्पादों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और मूल्यवर्धित हल्दी उत्पादों के लिए हमारे पारंपरिक ज्ञान के विकास पर काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है। वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक) के उत्पादन के साथ भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं। यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।
साभार -हिस