नई दिल्ली,यूएनएफपीए इंडिया ने बुधवार को यहां इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के सहयोग से बहुप्रतीक्षित “इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023” का विमोचन किया। यह रिपोर्ट भारत में बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी चुनौतियों, अवसरों और संस्थागत कार्यों पर प्रकाश डालती है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के सचिव सौरभ गर्ग और कंट्री डायरेक्टर एंड्रिया एम. वोज्नायूएनएफपीए के भारत प्रतिनिधि और भूटान के कंट्री डायरेक्टर एंड्रिया एम. वोज्नार ने संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट का विमोचन किया।
दरअसल, भारत जनसांख्यिकीय बदलाव की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए इस रिपोर्ट में भारत में बुजुर्गों के जीवन की परिस्थितियों और कल्याण की गहन समीक्षा की गई है। यह रिपोर्ट भारत में लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग सर्वे (LASI), 2017-18, भारत की जनगणना, भारत सरकार द्वारा जनसंख्या अनुमान (2011-2036) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और विश्व जनसंख्या संभावना 2022 से उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है। वास्तविक आंकड़ों पर आधारित इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023, भारतीय बुजुर्गों के सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करते हुए इससे जुड़े सभी हितधारकों की भूमिका को रेखांकित भी किया गया है।
रिपोर्ट के विश्लेषण से बुजुर्गों के कल्याण से संबंधित जो प्रमुख निष्कर्ष निकलकर आए हैं, उसमें वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जेरियाट्रिक केयर में ट्रेंड मैनपावर, बुजुर्ग आबादी के स्वास्थ्य, वित्तीय सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण से संबंधित कई सरकारी योजनाएं और नीतियों को बेहतर क्रियान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके साथ समुदाय-आधारित संगठनों द्वारा कंप्यूटर और इंटरनेट उपयोग सत्रों के माध्यम से बुजुर्गों के डिजिटल सशक्तीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। यहां पर यह भी जरूरी समझा गया है कि बुजुर्गों के कल्याण के लिए नीतियों को आकार देने के लिए समर्पित मंत्रिस्तरीय समितियां और सामाजिक सहायता, वृद्धाश्रम और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार इत्यादि पर जागरूकता अभियानों के लिए कॉर्पोरेट प्रयास हो।
इस मौके पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव सौरभ गर्ग ने कहा, “जैसे-जैसे भारतीयों की जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है, वैसे-वैसे यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हमारी बुजुर्ग आबादी को स्वस्थ, सम्मानजनक और पूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक देखभाल और सहायता मिले।” मैं यूएनएफपीए इंडिया की टीम को इस शोध पर रिपोर्ट के लिए बधाई देता हूँ साथ ही मैं सभी हितधारकों से इसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह करता हूं।”
यूएनएफपीए के भारत प्रतिनिधि और भूटान के कंट्री डायरेक्टर एंड्रिया एम. वोज्नार ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, सामाजिक संस्थाओं, सरकार और प्रबंधकों और बुजुर्गों की देखभाल में शामिल सभी हितधारकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है। वृद्ध व्यक्तियों ने समाज और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए हमें हमारे सर्वोत्तम प्रयास करने होंगे।
साभार -हिस