नई दिल्ली, केन्द्रीय मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को फार्मा-मेडटेक (फाइटोफार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण) क्षेत्र में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा (पीआरआईपी) योजना की शुरुआत की।
योजना की शुरुआत के लिए मंगलवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। अपने संबोधन में रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने योजना की शुरुआत के बाद कहा, “आज एक ऐतिहासिक दिन है, फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में “आत्मनिर्भरता” की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हमें भारतीय फार्मा और मेडटेक क्षेत्रों को लागत-आधारित से मूल्य-आधारित और नवाचार-आधारित उद्योग में बदलने की जरूरत है।
योजना का उद्देश्य पारंपरिक दवाओं और फाइटोफार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना है। योजना से जुड़ी राष्ट्रीय नीति में तीन प्रमुख क्षेत्रों पर स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है। इसके लिए नियामक ढांचे को सुदृढ़ बनाने, नवाचार में निवेश को प्रोत्साहित करने और नवाचार के लिए एक सुविधाजनक पारिस्थितिकी तंत्र के गठन पर बल दिया गया है।
योजना फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र से जुड़े वैश्विक बाजार में देश को बड़ा निर्यातक बनाने से जुड़े गुणवत्ता, पहुंच और सामर्थ्य लक्ष्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी।
मंडाविया ने बताया कि भारत अपने अनुसंधान और विकास के बुनियादी ढांचे को मजबूत करके ही फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकता है। इससे जीवन रक्षक दवाओं और अन्य दवाओं तक पहुंच में विस्तार होगा और भारत वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स व चिकित्सा निर्यात केंद्र बन पाएगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय रसायन और उर्वरक तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री भगवंत खुबा और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने किया था।
साभार -हिस
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