नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में घर बनाने के लिए पेड़ों को गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जस्टिस जसमीत सिंह ने पिछली सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को पेड़ों को गिराने की इजाजत नहीं देने संबंधी दिल्ली सरकार के आदेश को 6 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है। मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दो हफ्ते के अंदर इस बात का हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें पेड़ों के ट्रांसप्लांट और रिप्लांट का स्टेटस रिपोर्ट हो। इस हलफनामा में इस बात का भी जिक्र हो कि पेड़ों का ट्रांसप्लांट और रिप्लांट सफल हुआ कि नहीं। इसके पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि 14 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को पेड़ों को गिराने की इजाजत नहीं दी जाएगी। दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि अगर किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए पेड़ गिराना जरुरी होगा तो इसकी सूचना कोर्ट को दी जाएगी।
हाई कोर्ट एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि अप्रैल में कोर्ट की ओर से पेड़ों को गिराने के पहले ट्री अफसरों को उचित वजह बताने के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकारी पेड़ों को गिराने का धड़ाधड़ आदेश दे रहे हैं।
कोर्ट ने अधिकारियों की ओर से पेड़ों को गिराने की अनुमति पर गौर करते हुए कहा कि अनुमति देने से पहले बुद्धि का इस्तेमाल नहीं किया गया। कुछ अनुमतियों में तो लोगों को अपने वाहनों के पार्किंग के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई। नवंबर 2022 में जस्टिस नाजमी वजीरी ने दिल्ली सरकार के मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिया था कि पेड़ों को गिराने की अनुमति से संबंधित आदेश 48 घंटे के अंदर आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड गिए जाएं।
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