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कोरोना वायरस का ज्योतिषीय विश्लेषण

साभार – डा लक्ष्मी नारायण अग्रवाल

पूरे विश्‍व में महामारी का रूप लेने वाले कोरोना वायरस (कोविद-19) का प्रकोप ग्रहों की टेढ़ी चाल का नतीजा है। यह कहना है ज्योतिष आचार्य काशी रत्न गणेशी रस्तोगी का. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने लगभग पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है। ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु तथा शनि को सूक्ष्म जीवों के कारण उत्पन्न होने वाली महामारी का कारक ग्रह कहा गया है कोई भी रोग किसी एक ग्रह के कारण नहीं उतपन्न होता अनेक ग्रहों के संयोजन और राशियों के प्रभाव के कारण ही रोग उत्पन्न होता है।

ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य आरोग्यता का कारक है और यदि वह गोचर में कमजोर चल रहा हो तो भी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। जनवरी माह से ही सूर्य का गोचर शनि की राशियों में हुआ है जो कि मध्य फरवरी तक मकर राशि में था फिर उसके बाद मध्य मार्च तक कुंभ राशि में था। शनि की राशियो में होने से सूर्य कमजोर स्थिति में होता है। 14 मार्च 2020 से सूर्य बृहस्पति की मीन राशि में गोचर कर रहे हैं। यह 14 अप्रैल 2020 तक मीन राशि में ही रहेंगे। सूर्य जब अपने उच्च स्थान मेष राशि में आगामी 13 अप्रैल 2020 को 10 बजकर 40 मिनट पर प्रवेश करेंगे, तब भगवान भास्कर के ताप से ही मानव सभ्यता के शत्रु बने कोरोना वायरस का दुष्प्रभाव धीरे-धीरे कम होना सम्भव होता दिखता है और साथ ही साथ 25 अप्रैल 2020 को बुध भी मेष राशि में आकर सूर्य से युति करेंगे, जिससे तापमान में तेजी से वृद्धि होगी और भारत को कोरोना के कहर से मुक्ति मिलना प्रारम्भ हो जाएगी।

सूर्य केतु के नक्षत्र में गोचर कर रहा है और यह 22 मई 2020 तक केतु के नक्षत्र में रहेगा। 22 मई 2020 के उपरांत कोरोना वायरस का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जाएगा ऐसी सम्भावना है। गुरु को जीव तथा शनि को आमजन मानस का कारक भी माना जाता है। गोचर में जब यह दोनों ग्रह विशेष रूप किसी ग्रहीय परिस्थिति से पीड़ित होते हैं, तब मानव सभ्यता को इस प्रकार के कोप का भाजन बनना पड़ता है। वर्तमान समय मे 25 जनवरी 2020 से मकर राशि मे गुरु शनि की युति बनी है। साथ ही साथ 22 मार्च 2020 की रात मंगल धनु राशि में केतु के कैद से आजाद होकर मकर राशि में प्रवेश कर चुके है। मकर राशि मे यह 5 मई तक रहेंगे। मगंल शनि गुरु की युति का अशुभ प्रभाव 5 मई तक ही रहेगा।

इसके बाद कोरोना वायरस महामारी से मुक्ति मिलने के आसार हैं। गुरु, शनि, मंगल की मकर राशि मे युति के कारण प्रत्येक जीव डरा हुआ है, जिसका संबंध धर्म और लंबी यात्रा और सामूहिक समारोह का भी है। अतः यह महामारी लोगों को इससे रोक रही है। बृहस्पति का काम है वृद्धि करना, तो इस रोग के फैलने में बृहस्पति भी मुख्य भूमिका निभा रहा है। दिनाकं 30 मार्च से राहु का गुरु से षडाषटक योग बन गया है।  बृहस्पति आगामी 30 जून, 2020 मंगलवार तक मकर राशि में रहेंगे। 14 मई 2020 गुरुवार को रात्रि 8.01 बजे से मकर राशि में रहते हुए ही ये वक्री हो जायेंगे। ये 13 सितंबर 2020 रविवार को सुबह 6.11 बजे से मार्गी हो जायेंगे। इस दृष्टि से गुरु 13 सितम्बर 2020 से मारगी होने के बाद अपना शुभ फल देंना शुरू करेंगे, तभी कोरोना वायरस महामारी से मुक्ति मिलने की उम्मीद की जा सकती है।

भारत वर्ष की कुंडली वृषभ लग्न और कर्क राशि की बनती है। मिथुन राशि से गले के रोग तथा कर्क राशि फेफड़े और जल संबंधित बीमारियों को दर्शाती है। भारतवर्ष की कुंडली का द्वितीय भाव जिसे कुटुम्ब का भाव भी और जनता का भाव भी कहा जाता है द्वितीय भाव इंसान के मुख और नाक का भी भाव है। पाप ग्रह राहु सभी प्रकार के जहर और वायरस पर शासन करता है। उसी भाव पर राहु अपनी उच्च राशि मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं।  ऐसी स्थिति में मिथुन राशि पीड़ित हैं। 27 नक्षत्रों में आर्द्रा नक्षत्र का बिशेष महत्‍व है। यह नक्षत्र स्वयं राहु का नक्षत्र हैl राहु जब भी आर्द्रा नक्षत्र में संचार करता है, तब विश्‍व में कोई न कोई बड़ी घटना, महामारी या आर्थिक स्थिति को धक्‍का लगता है।

जैसे ही राहु ने आद्रा नक्षत्र में प्रवेश किया वायरस के बीज अंकुरित होना शुरू हो गए थे। राहु ने 27 सितंबर 2019 को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश किया और यह 22 अप्रैल 2020 तक आद्रा नक्षत्र मे ही रहेगा और इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र में चला जाएगा। जब यह मृगशिरा नक्षत्र में जाएगा तब कोरोना वायरस का प्रभाव बहुत ही धीरे-धीरे कम होता जाएगा, क्यों कि मृगशिरा नक्षत्र पर अमृत के देवता सोमा का शासन है। 22 अप्रैल 2020 से विश्वभर में स्थिति सामान्य होती हुई दिखाई देती है, लेकिन पूर्णतया 22 मई 2020 तक इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जाएगा। ऐसी सम्भावना है वर्तमान समय में 25 जून 2020 से राहु आगामी 20 सितम्बर 2020 तक मिथुन राशि में रहेंगे, जो शनि से षडाषटक योग बना रहे है। अत: 20 सितम्बर 2020 तक कोरोना का दुष्प्रभाव बना ही रहेगा। अतः तब तक सतर्क रहने की विशेष आवश्यकता है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा दी गई सभी सलाह निर्देशों पर हम सभी अमल करे एवं खुद सावधानी बरतें, सतर्क रहें और स्वस्थ रहें।

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