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जी-20 के दौरान आसमानी सुरक्षा के लिए वायु सेना ने तैनात किये हमलावर हथियार

  • भारत ने चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर शुरू किया सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’

  • मिराज-2000 और राफेल जैसे लड़ाकू विमान कॉम्बैट एयर पेट्रोलिंग करेंगे

नई दिल्ली, राजधानी में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हवाई क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायु सेना की होगी। इसके लिए दिल्ली और उसके आसपास बड़ी संख्या में रक्षात्मक और हमलावर हथियारों तैनात किए गए हैं। वायु सेना ने जी-20 से पहले चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर सैन्य अभ्यास शुरू किया है, जिसे ‘त्रिशूल’ नाम दिया गया है। यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत जी-20 बैठक की मेजबानी कर रहा है।
शिखर सम्मेलन में शामिल होने तमाम वैश्विक नेता राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आएंगे, जिसे कड़ी सुरक्षा घेरे में रखा गया है। वायु सेना ने आसमानी सुरक्षा के लिए दिल्ली और उसके आसपास बड़ी संख्या में रक्षात्मक और हमलावर हथियारों को तैनात किया है। जी-20 की सुरक्षा के लिए मिराज-2000 और राफेल जैसे लड़ाकू विमान कॉम्बैट एयर पेट्रोलिंग करेंगे। आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम और एंटी-एयरक्राफ्ट गन जैसी वायु रक्षा प्रणालियों को भी तैनात किया गया है। 70 किलोमीटर दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) को दिल्ली और उसके आसपास के एरिया में तैनात किया गया है।

भारत ने कश्मीर क्षेत्र सहित अपने उत्तरी राज्यों पर एक ‘हवाई अभ्यास’ के लिए क्षेत्र चेतावनी जारी की है। सोमवार को चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर यह बड़ा सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल’ शुरू किया गया है, जिसमें भारतीय वायु सेना के सभी बेहतरीन फ्रंटलाइनर राफेल जैसे लड़ाकू विमान और एस-400 एमआरएसएएम और स्पाइडर जैसी वायु रक्षा प्रणालियां शामिल हैं। सेना की टुकड़ियां भी लद्दाख में अलग-अलग अभ्यास कर रही हैं।
पाकिस्तान और चीन से सटे बॉर्डर पर अभ्यास में वायु सेना दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने की तैयारी करेगी। भारत के राफेल विमान रिहर्सल करेंगे और वायु सेना के गरुड़ कमांडो फोर्स के स्पेशल जवान इस पूरे युद्धाभ्यास को अंजाम देंगे। इस अभ्यास में भारत के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम की तैनाती भी देखी जाएगी, जो जी-20 बैठक के लिए भी काम में आएगी। सूत्रों ने कहा कि ड्रोन रोधी प्रणालियां भी लगाई गई हैं। त्रिशूल अभ्यास भारत की उत्तरी सीमा पर 1,400 किलोमीटर के क्षेत्र में किया जाएगा। पंजाब सहित जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों में यह युद्धाभ्यास होगा।

वायु सेना के जवान 14 सितंबर तक युद्ध की तमाम बारीकियों का अभ्यास करेंगे। त्रिशूल युद्धाभ्यास में भारत के फ्रंटलाइनर लड़ाकू जेट, हमलावर हेलीकॉप्टर, बीच हवा में ईंधन भरने वाले विमान और अन्य दूसरे ताकतवर हवाई हथियार शामिल होंगे। इस सैन्य अभ्यास में चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टर सहित हल्के इंटरसेप्टर लड़ाकू विमान शामिल होंगे। अभ्यास में भारी-भरकम परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर भी भाग लेंगे। अभ्यास में भाग लेने वाले लड़ाकू विमानों में राफेल, एसयू-30 एमकेआई, जगुआर, मिराज-2000, मिग-29 और मिग-21 बाइसन शामिल हैं।
साभार -हिस

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