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डीआरडीओ के कार्यों की समीक्षा करके समिति से तीन माह में रिपोर्ट मांगी गई
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नौ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को भी रखा गया
नई दिल्ली,केंद्र सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के कामकाज की समीक्षा करके आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए नौ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। कमेटी का नेतृत्व सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन को सौंपा गया है। कमेटी को रक्षा विभाग (आरएंडडी) और डीआरडीओ की भूमिका का पुनर्गठन करके पुनर्परिभाषित करने की जिम्मेदारी देकर तीन माह में रिपोर्ट मांगी गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों पर डीआरडीओ की कार्यप्रणाली में बदलाव के उद्देश्य से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्च स्तरीय समिति बनाई है। प्रोफेसर विजयराघवन के नेतृत्व में विशेषज्ञों की नौ सदस्यीय समिति को डीआरडीओ के कार्यों की समीक्षा और पुनर्परिभाषित करने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रो. विजयराघवन भारत सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार और राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) के प्रमुख वास्तुकारों में से एक हैं। सरकार ने इस कमेटी से तीन महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
डीआरडीओ समीक्षा समिति में पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सुब्रत साहा, नौसेना स्टाफ के पूर्व उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमाडे, पूर्व चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड स्टाफ एयर मार्शल बीआर कृष्णा, एमपी-आईडीएसए के महानिदेशक सुजान आर चिनॉय, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स (एसआईडीएम) के अध्यक्ष एसपी शुक्ला, लार्सन एंड टुब्रो डिफेंस के जेडी पाटिल, इसरो के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर और रक्षा मंत्रालय की वित्तीय सलाहकार सुश्री रसिका चौबे को रखा गया है ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के इस फैसले के बारे में डीआरडीओ प्रमुख समीर वी कामत ने बताया कि इस हाई पावर कमेटी को रक्षा विभाग (आरएंडडी) और डीआरडीओ की भूमिका का पुनर्गठन करके पुनर्परिभाषित करने के साथ ही शिक्षा और उद्योग के साथ उनके संबंधों को फिर से परिभाषित करने को कहा गया है। समिति को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास में शिक्षा जगत, एमएसएमई और स्टार्टअप की भागीदारी को अधिकतम करने, उच्च गुणवत्ता वाली जनशक्ति को आकर्षित करने के बारे में भी अध्ययन करने के लिए कहा गया है, ताकि गैर-निष्पादक शक्तियों को बाहर किया जा सके।
यह कमेटी डीआरडीओ के पुनर्गठन में अत्याधुनिक और विघटनकारी रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एनआरआई, विदेशी सलाहकारों, अंतर-देशीय सहयोग की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करेगी। समिति से परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए प्रशासनिक, कार्मिक और वित्तीय प्रणालियों का आधुनिकीकरण करने, प्रयोगशाला संरचनाओं और उनके प्रदर्शन की मूल्यांकन प्रक्रिया बनाने को भी कहा गया है। हालांकि, डीआरडीओ ने निर्देशित मिसाइल प्रणालियों में कुछ अग्रणी काम किया है, लेकिन इस संस्थान के कामकाज की समीक्षा करने का यह निर्णय महत्वपूर्ण है।
साभार -हिस