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नई दिल्ली। केंद्रीय आयुष मंत्रालय और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दुनिया के पहले वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन को श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए कहा कि उन्हीं के प्रयासों से पहले गुजरात के जामनगर में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन स्थापित हुआ और अब गांधीनगर में पारंपरिक चिकित्सा का पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ।

पारंपरिक चिकित्सा का पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन 17-18 अगस्त को गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया गया था, जिसमें दुनिया के 78 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय की मेजबानी में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में देश-विदेश से आए वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पारंपरिक चिकित्सा के हर पहलुओं पर चर्चा की और इसकी संभावनाओं और समस्याओं पर विचार विमर्श किया।

इस शिखर सम्मेलन की उपलब्धियों के बारे में केंद्रीय आयुष मंत्री सोनोवाल ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन से पारंपरिक चिकित्सा को पूरी दुनिया में एक नई पहचान मिली और इसकी सहायता से हमें एक स्वस्थ समाज के निर्माण में मदद मिलेगी।

पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में गुजरात घोषणापत्र को अहम बताते हुए आयुष मंत्री ने कहा कि शिखर सम्मेलन ‘पारंपरिक चिकित्सा पर गुजरात घोषणापत्र’ के साथ समाप्त हुआ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यह घोषणापत्र बहुत जल्द सार्वजनिक किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि पारंपरिक चिकित्सा को लेकर भारत का नेपाल, मलेशिया, कतर, वेनेजुएला और क्यूबा से द्विपक्षीय समझौता हुआ है जिसके तहत सदस्य देश मिलकर पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण और सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे।

पारंपरिक चिकित्सा को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक सर्वेक्षण की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि नवंबर में सर्वेक्षण से जुड़ा अंतिम निष्कर्ष प्रकाशित किया जाएगा। सर्वेक्षण के मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के 157 देशों में से 97 देशों में पारंपरिक चिकित्सा को लेकर राष्ट्रीय नीतियां लागू हैं।

गांधीनगर में आयोजित पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन महासचिव डॉ ट्रेडोस एडनोम घेब्येययस ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के प्रयासों की जमकर तारीफ की। अपने संबोधन में डॉ ट्रेडोस ने खास तौर पर भारत के घर-घर में पूजी जानेवाली तुलसी का जिक्र करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का मौका मिला।

शिखर सम्मेलन में इस बात पर खास तौर पर चर्चा की गई कि किस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे नवीनतम ज्ञान-विज्ञान का इस्तेमाल पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा प्रणाली में किया जा सकता है ? सम्मेलन के दौरान डिजिटल टेक्नोलॉजी से जुड़ी एक फिल्म के जरिए दिखाया गया कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) दुनिया की मौजूदा स्वास्थ्य सेवा की तस्वीर और तकदीर बदल रहा है।

पारंपरिक चिकित्सा के पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन के दौरान योग और ध्यान का विशेष सत्र भी आयोजित किया गया जिसमें विदेशी मेहमानों ने काफी उत्साह से भाग लिया। सम्मेलन स्थल पर पारंपरिक चिकित्सा से जुड़ी एक प्रदर्शनी भी लगाई थी, जिसमें देश-दुनिया में प्रचलित तमाम चिकित्सा पद्धतियों को दिखाया गया था। इस प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बिंद रहा पौराणिक कल्पवृक्ष जिसके बारे में मान्यता है कि यह इंसान की हर मनोकामना को पूरा करता है।

गौरतलब है कि गुजरात के जामनगर में स्थापित दुनिया के पहले ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के बाद अब भारत के ही गांधीनगर में परंपरागत चिकित्सा पर प्रथम वैश्विक शिखर सम्मेलन के आयोजन को भारत की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।

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