नई दिल्ली। संसद का मानसूत्र सत्र आज समाप्त हो गया और दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। संसद ने इस सत्र में 23 विधेयकों को मंजूरी दी।
मॉनसून सत्र की समाप्ति के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाता सम्मेलन में संसद में हुए कामकाज का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 20 जुलाई से शुरू हुए सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें हुई। कुल 23 विधेयकों को संसद ने मंजूरी दी।
दोनों सदनों के विधायी कार्यों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मानसून सत्र में लोकसभा से 22 विधेयक पारित किए गए और 20 विधेयक सदन के विचार हेतु रखे गए। वहीं राज्य सभा से 25 विधेयक पारित किए गए और पांच विधेयक सदन के विचार हेतु रखे गए। उन्होंने बताया कि तीन विधेयक गृह मंत्रालय से संबंधित थे जिन्हें स्थायी समिति के विचार हेतु भेजा गया। एक विधेयक राज्य सभा से वापस लिया गया।
सदनों की कार्य उत्पादकता की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि लोक सभा में 45 प्रतिशत और राज्य सभा में 63 प्रतिशत कामकाज हुआ। विपक्ष की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव पर रिकॉर्ड 20 घंटे चर्चा हुई। 60 से ज्यादा सदस्यों ने इसमें हिस्सा लिया।
विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए प्रह्लाद जोशी ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे बार-बार के आग्रह और प्रयासों के बाद भी विपक्ष ने राजनीतिक कारणों से विधेयकों की चर्चा में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने केवल दिल्ली सेवा विधेयक में भाग लिया। सरकार कभी नहीं चाहती थी कि कोई विधेयक बिना चर्चा के पारित हो। राज्यसभा में लगभग सभी विधेयकों पर चर्चा हुई।
राहुल गांधी के लोकसभा में दिए वक्तव्य पर उन्होंने कहा कि उनके भाषण से ‘भारत माता’ नहीं बल्कि असंसदीय शब्द निकाले गए। उनके बयानों से ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। सहकारी समिति विधेयक, वन विधेयक, अनुसंधान विधेयक जैसे ऐतिहासिक विधेयक महत्वपूर्ण हैं लेकिन दुर्भाग्य से विपक्ष इन पर चर्चा से बचता रहा।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कभी नहीं सोचा था कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए सहमत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस मुद्दे पर हम सभी को संवेदनशील होना चाहिए।