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आप के असम प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय पर्यवेक्षक ने दिल्ली में चुनाव आयोग को सौंपा ज्ञापन
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वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर तैयार किए गए मसौदे काे आआपा ने रोकने की मांग की
नई दिल्ली/गुवाहाटी। आम आदमी पार्टी (आप) की असम प्रदेश इकाई ने असम के निर्वाचन क्षेत्रों के पुन: निर्धारण के खिलाफ दिल्ली में चुनाव आयोग मुख्यालय को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर तैयार किए गए मसौदे का विरोध जताया और इस पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह रोकने की मांग की।
शुक्रवार को नई दिल्ली में आप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. भाबेन चौधरी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय पर्यवेक्षक राजेश शर्मा ने केन्द्रीय चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा। आप ने ज्ञापन में चुनाव आयोग को बताया कि चूंकि हमारे पास 2011 की जनगणना के आंकड़े हैं और 2011 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र पुनर्निर्धारण आयोग ने जम्मू-कश्मीर के निर्वाचन क्षेत्रों को पहले ही पुनर्निर्धारित किया है। इसलिए वर्ष 2011 को असम में भी आधार वर्ष के रूप में लिया जाना चाहिए। आप नेता ने कहा कि असम के लोगों को निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण में कोई लाभ नहीं मिलेगा, जो केवल कुछ वर्षों के लिए प्रभावी होगा। इसलिए, चुनाव आयोग को वर्ष 2026 से देशभर में शुरू होने वाले निर्वाचन क्षेत्रों को पुनर्निर्धारित करने के साथ असम में निर्वाचन क्षेत्र को फिर से निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग पर छोड़ देना चाहिए।
आप ने चुनाव आयोग को बताया है कि इस मसौदे में कुछ ऐतिहासिक चुनाव क्षेत्र हैं, जिन्हें समाप्त कर दिया गया है या ऐतिहासिक महत्व को कम कर दिया गया है। चुनाव आयोग की कार्रवाई ने कई लोगों को नाराज कर दिया है। आप ने मांग की कि इसमें नागरिकों की भावनाएं शामिल किया जाना चाहिए।
आप ने कहा है कि मसौदे में प्रस्तावित निर्वाचन क्षेत्रों की भौगोलिक निरंतरता की भी अनदेखी की गई है। एक पंचायत को कई हिस्सों में बांटकर उसे तीन निर्वाचन क्षेत्रों में जोड़ने का कृत्य प्रशासनिक दृष्टि से कभी स्वीकार्य नहीं हो सकता। यहां तक कि यह भी किया गया है कि मुख्य निर्वाचन क्षेत्र से 50 किमी दूर एक या दो गांवों को मिला दिया गया है। आप ने आरोप लगाया कि इस तरह की कार्रवाई आचार संहिता के तहत नहीं है।
पोस्ट – इण्डो एशियन टाइम्स
सभार – हिस