प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठुमरी की प्रसिद्ध गायिका बागेश्वरी देवी की याद में शुक्रवार से वाराणसी में आयोजित पांच दिवसीय ठुमरी महोत्सव के लिए शुभकामना संदेश भेजा है। आयोजन पर खुशी जताते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा है कि हमारी गौरवशाली विरासत के अहम अंग के रूप में गीत-संगीत हमारे जीवन में रचा-बसा है। हमारे यहां हर पहर, हर पर्व, हर उत्सव, हर अवसर, हर त्योहार और हर रीति-रिवाज के लिए विविधतापूर्ण संगीत है। संगीत हमारे जीवन के सहज भावों को कलात्मकता के साथ अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है।
प्रधानमंत्री ने लिखा है कि बनारस घराने को गौरवान्वित करने वाली बागेश्वरी देवी ने हमारी संगीत परम्परा को समृद्ध करते हुए ठुमरी की विधा को नया आयाम प्रदान किया। उनकी शिष्या डॉ. सोमा घोष द्वारा उनके प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए ठुमरी को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में किए जा रहे कार्य सराहनीय हैं। वाराणसी आध्यात्मिकता के साथ सुर, लय और ताल के रोचक सामंजस्य एवं प्रयोगों की समृद्ध धरोहर को सहेजने वाली स्थली है। यह अनेक कला साधकों की जननी रही है जिन्होंने अपनी लगन और साधना से कला के क्षेत्र में नई उचांइयों को छुआ। अमृत काल हम सभी के लिए विकसित भारत के विराट संकल्पों की सिद्धि के लिए जी-जान से कार्य करने का कर्तव्य काल है। ऐसे में देश की विविधतापूर्ण संस्कृति, परंपरा एवं कला जगत को समृद्ध करने में हमारे सामूहिक प्रयास महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
प्रधानमंत्री ने लिखा है कि काशी में इस फेस्टिवल का आयोजन सुर के पुरोधाओं और नव प्रतिभाओं को श्रोताओं के साथ प्रभावी तरीके से जोड़ेगा। मुझे विश्वास है कि महोत्सव में होने वाली कार्यशाला एवं संगीत कार्यक्रम में कलाकार और संगीत प्रेमी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे और ठुमरी को लोकप्रिय बनाने में यह आयोजन बड़ी भूमिका निभाएगा।
पांच दिवसीय ठुमरी महोत्सव में देश और दुनियाभर के संगीत साधक गायन, वादन और नृत्य पेश करेंगे। ठुमरी शैली के लिए प्रसिद्ध तीन घराने- पटियाला, बनारस और लखनऊ के अलावा आगरा और किराना घराना के दिग्गज भी इस महोत्सव में अपनी प्रस्तुतियां देंगे। इस दौरान दो दिन की कार्यशाला में बच्चों को भी ठुमरी से परिचित कराया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित हो रहा यह महोत्सव काशी में तीन स्थानों पर होगा। प्रथम दो दिन का आयोजन ठुमरी के तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध महमूरगंज स्थित रमन निवास में होगा। वहीं 23 अप्रैल की प्रस्तुतियां बनारस क्लब में आयोजित होंगी और अंतिम दो दिन 24 और 25 अप्रैल को सनबीम स्कूल में कार्यशाला होगी, जहां नई पीढ़ी के बच्चों को ठुमरी गायन शैली से परिचित कराया जाएगा।
प्रसिद्ध ठुमरी गायिका बागेश्वरी देवी की शिष्या डॉ. सोमा घोष के अनुसार अंग्रजों के समय से ठुमरी के कई सुप्रसिद्ध गायक रहे। बनारस के दिग्गज ठुमरी गायिकाओं में बड़ी मोती बाई, छोटी मोती बाई, रसूलन बाई, सिद्धेश्वरी देवी, बेगम अख्तर, गिरिजा देवी और बागेश्वरी देवी का नाम संगीत के इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
साभार -हिस