नई दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की समस्त ग्राम पंचायतों से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव सर्वसम्मति से कराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गांव के विकास का मॉडल कैसा हो और इसे कैसे कार्यरूप दिया जाये? इसके लिए उसके अधिकार गांववासियों को होने चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार को विज्ञान भवन में ‘पंचायतों के प्रोत्साहन पर राष्ट्रीय सम्मेलन-सह-पुरस्कार समारोह’ को संबोधित करते हुए अपनी बात रख रही थीं। प्रत्येक पांच वर्ष में पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव प्रावधान का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसका उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करना है। लेकिन यह देखा गया है कि इससे कभी-कभी लोगों में कटुता भी उत्पन्न हो जाती है। लोगों में आपसी मनमुटाव न बढ़े, इसके लिए पंचायत चुनावों को राजनीतिक दलों से अलग रखा गया है।
राष्ट्रपति ने इस संबंध में गुजरात सरकार की ओर से 2001 में शुरू की गई ‘समरस ग्राम स्वराज योजना’ का उदाहरण दिया। इसके तहत उन पंचायतों को पुरस्कृत करने का प्रावधान था, जहां अपने प्रतिनिधियों का चुनाव सर्वसम्मति यानि बिना चुनाव के किया गया हो।
उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य गांव में शांति और सद्भावना बनाये रखना और चुनाव के कारण आने वाली कड़वाहट से बचना था। राष्ट्रपति ने कहा कि गांव परिवार का ही एक विस्तृत रूप है। परिवार में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी सामुदायिक कार्य आम सहमति से होने चाहिए, यदि चुनाव की नौबत भी आये, तो चुनाव ग्रामवासियों में विभाजन न लाये।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित सभी पंचायतों, ग्राम प्रधानों एवं पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अपने प्रयासों के बल पर आपने अपनी पंचायत को विकास के इस शिखर पर पहुंचाया है। इसके लिए आप और आपके सभी पंचायतवासी प्रशंसा के पात्र हैं। राष्ट्रपति ने ग्राम पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी पर जोर देने के साथ ही ग्लोबल वार्मिंग की वैश्विक चुनौती से निपटने के भारत के लक्ष्य का भी उल्लेख किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत गांवों का देश है। देश की आत्मा गांवों में बसती है। पिछले कुछ दशकों के दौरान शहरीकरण में आई तेजी के बावजूद जनता गांव में ही निवास करती है। शहरों में रहने वाले अधिकांश लोग भी किसी न किसी तरह से गांवों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि गांव वह आधारभूत इकाई है, जिसके विकास होने से पूरा देश विकसित बन सकता है। इसलिए हमारे गांवों को विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गांव के विकास का मॉडल कैसा हो और इसे कैसे कार्यरूप दिया जाये? इसके लिए उसके अधिकार गांववासियों को होने चाहिए। राष्ट्रपित महात्मा गांधी इस बात को बखूबी समझते थे। इसलिए उन्होंने ग्राम स्वराज के जरिए आदर्श ग्राम के निर्माण की कल्पना की थी। उनके लिए स्वराज सत्ता का नहीं, बल्कि सेवा का साधन था। कालांतर में भी अनेक महापुरुषों ने ग्राम विकास और स्वशासन के मॉडल प्रस्तुत किये। ऐसा ही एक उदाहरण नानाजी देशमुख का है, जिन्होंने स्वावलंबन के माध्यम से देश के अनेक गांवों का उत्थान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने भी पंचायतों में स्वशासन के महत्व को रेखांकित करते हुए संविधान के नीति निर्देशक तत्व में ग्राम पंचायत के संगठन और उन्हें अधिकार और शक्तियां प्रदान करने का उल्लेख किया।
साभार -हिस